डेंगू-मलेरिया-स्वाइन फ्लू के लिए 4,687 घरों का हुआ सर्वे

बीकानेर। डेंगू-मलेरिया-स्वाइन फ्लू जैसी मौसमी बीमारियों के जागरण करने त्रिदिवसीय स्वास्थ्य दल आपके द्वार अभियान बुधवार को शुरू हुआ। नर्सिंग विद्यार्थी, आशा, ए.एन.एम. व अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के दल पहले दिन 4,687 घरों तक स्वास्थ्य सन्देश लेकर पहुंचे। शहर से लेकर गाँव तक अभियान पूरे जोर-शोर से चला। सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि सर्वे के दौरान दलों ने 97 स्थानों पर मच्छरों के लार्वा चिन्हित किए और उनका उपचार किया। कुल 598 बुखार के रोगी मिले जिनकी रक्त की स्लाइड जाँच हेतु बनाई गई व दवा दी गई। स्वाइन फ्लू के लिए 4,687 घरों पर 11,434 व्यक्तियों, 35 विद्यालयों के 5,648 विद्यार्थियों, 2 हॉस्टल के 148 व 2 रैन बसेरों के 84 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की गई जिसमे से 1 हजार व्यक्तियों में आईएलआई (इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस) यानिकी खांसी-जुकाम के लक्षण पाए गए। एपीडेमियोलोजिस्ट नीलम प्रताप सिंह ने बताया कि दलों द्वारा मौके पर एंटीलार्वल गतिविधियाँ करते हुए आमजन को इससे जोड़ने का प्रयास किया गया। एंटी एडल्ट गतिविधियों के अंतर्गत मेट व इलेक्ट्रिक रैकेट के उपयोग की सलाह दी गई।
स्वास्थ्य भवन में प्रातः नर्सिंग विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने एंटी लार्वल गतिविधियों पर जोर देते हुए आमजन को इसे दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा। उपनिदेशक डॉ. संदीप अग्रवाल ने मलेरिया-स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए स्वच्छता को दैनिक जीवन में अपनाने का सन्देश दिया। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. इंदिरा प्रभाकर ने योजनाबद्ध तरीके से घर-घर अभियान को लेजाने का आह्वान किया। नर्सिंग विद्यार्थी रैली के रूप में निकलकर डिस्पेंसरी वार दलों में विभक्त होकर घर-घर पहुंचे। इनमे एमएन इंस्टिट्यूट, चलाना नर्सिंग कॉलेज और राजीव गाँधी नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थी शामिल रहे।

वृद्धजन भ्रमण पथ पर जागरण
सवेरे वृद्धजन भ्रमण पथ पर सैर को आए व्यक्तियों को भी अभियान से जोड़ने का प्रयास किया गया सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी, बीसीएमओ डॉ. अनिल वर्मा, डॉ. एम. अबरार पंवार व नीलम प्रताप सिंह द्वारा एंटी लार्वा गतिविधियों की जानकारी दी गई और मौके पर पक्षियों के परिंडो में लार्वा चिन्हित कर साफ करवाए गए।

क्या है एंटी लार्वल गतिविधियाँ ?
डॉ. चौधरी के अनुसार मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका होता है एंटीलार्वल एक्टिीविटी जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ/काला तेल पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह समय मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन हेतु अनुकूल है अतः आमजन को चाहिए कि पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
बीकानेर

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