कुछ यूं अब मीडिया पर नजर रखेगी सरकार…

फजीहत ऐ जनता जनार्दन by राजू चारण बाडमेर से

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव 2019 नजदीक आ रहे हैं, राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजस्थान राज्य के भाजपाइयों की धड़कनें तेज हो गई है राजस्थान में विशेष रूप से, सरकार ने विभिन्‍न क्षेत्रों में विकास कार्यों पर नजर रखने के साथ ही देश भर के लोगों के मिजाज को समझने की कवायद शुरू कर दी है। मोदी जी ने सरकारी मशीनरी के कामकाज को भी जनता जनार्दन की परेशानियों को दूर करने के लिए कई बार बताया था लेकिन राजहठ के आगे सरकारी मशीनरी केवल दिखावे के लिए आंकड़ों के मकङजाल में सरकारी फरमान जारी कर रही है लेकिन एयरकंडीशनर में बनने वाली योजनाओं का धरातल पर भारी अभाव है । कर्नाटक चुनाव में करारी हार के बाद भी भाजपाइयों के लिए राजस्थान के चुनाव में जीत के लिए कांटे की टक्कर होगी बाड़मेर जेसलमेर की अवाम सरकारी अधिकारियों से बेहद नाराज़ हैं । मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे भी भली-भांति परिचित हैं और मोजूदा विधायको का भी पत्ता कट सकता है ।

इस कवायद के तहत ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) देशभर के 716 जिलों में सोशल मीडिया एग्जिक्‍यूटिव नियुक्‍त करने जा रहा है। ये एग्जिक्‍यूटिव विभिन्‍न अखबारों के स्‍थानीय संस्‍करणों, केबल चैनलों और लोकल एफएम चैनलों आदि पर नजर रखेंगे। इसके साथ ही प्रादेशिक स्‍तर पर हो रहे आयोजनों को लेकर भी डाटा एकत्रित किया जाएगा।

नाम न छापने की शर्त पर मंत्रालय के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि ये लोग सरकार के ‘आंख-कान’ होंगे और जमीनी स्थिति के बारे में अवगत कराते रहेंगे, ताकि क्षेत्र की जनता की नब्‍ज को समझा जा सके। अधिकारी ने बताया कि तीन साल के इस प्रोजेक्‍ट के लिए तकरीबन 20 करोड़ रुपए पहले ही स्‍वीकृत किए जा चुके हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ‘ब्रॉडकॉस्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड’ (बेसिल) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सोशल मीडिया एग्जिक्‍यूटिव को निम्‍‍नलिखित जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करना होगा।

: प्रादेशिक मीडिया और स्‍थानीय स्‍तर पर होने वाले आयोजनों का डाटा तैयार करना होगा।

: सोशल मीडिया पब्लिसिटी के लिए जिला अथवा प्रादेशिक स्‍तर पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयों को सपोर्ट करना होगा। इसके अलावा सोशल मीडिया को कंटेंट भी मुहैय्या कराना होगा।

: विभिन्‍न अखबारों के स्‍थानीय संस्‍करणों, केबल चैनलों, स्‍थानीय एफएम चैनलों के साथ ही स्‍थानीय स्‍तर पर सक्रिय महत्‍वपूर्ण सोशल मीडिया हैंडल्‍स पर नजर रखनी होगी। ताकि वहां से स्‍थानीय स्‍तर पर हो रहे महत्‍वपूर्ण घटनाक्रमों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके।

: सरकार से जुड़े महत्‍वपूर्ण स्‍थानीय समाचारों पर नजर रखनी होगी और सरकारी योजनाओं से उनकी तुलना करनी होगी कि क्‍या उस हिसाब से काम हो रहा है अथवा नहीं।

: स्‍थानीय भावनाओं को समेटते हुए रोजाना की विश्‍लेषणात्‍मक रिपोर्ट एडीजी (रीजन) और मीडिया हब (कमांड सेंटर) को भेजनी होगी।

: स्‍थानीय स्‍तर पर किसी भी तरह की इमरजेंसी में एडीजी (रीजन) और मीडिया हब को तुरंत सूचित करेंगे।

: एडीजी (रीजन) और मीडिया हब की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार फीडबैक उपलब्‍ध कराएंगे।

: सरकार की ओर से चलाई जा रहीं विभिन्‍न योजनाओं के बारे में सकारात्‍मक स्‍टोरीज की पहचान करेंगे और विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म्‍स के द्वारा इन्‍हें प्रसारित करेंगे।

: किसी भी तरह की परेशानी के समय अनुबंध के नोडल पॉइंट के रूप में काम करना होगा।

: किसी भी तरह की फेक न्‍यूज अथवा इनफॉर्मेशन यदि फैलाई जा रही है तो उसकी जांच करेंगे और इसके बारे में न्‍यू मीडिया विंग/एडीजी (रीजन)/मीडिया हब को सूचित करेंगे।

: सरकार की ओर से चलाई जा रहीं विभिन्‍न योजनाओं, आयोजनों अथवा पहल के बारे में लोगों की राय का विश्‍लेषण करेंगे।

: इसके अलावा मीडिया हब कमांड सेंटर/न्‍यू मीडिया विंग/एडीजी(रीजन) द्वारा दिए गए अन्‍य दिशा निर्देशेां का पालन कर उसके अनुसार काम करेंगे।

बेसिल इस प्रोजेक्‍ट के लिए निविदा (RFP) भी आमंत्रित कर चुकी है। इसमें विभिन्‍न बोलीदाताओं और एजेंसियों से सोशल मीडिया कम्‍युनिकेशन हब के कार्यों और मेंटीनेंस के तहत सॉफ्टवेयर के इंस्‍टॉलेशन,टेस्टिंग आदि के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।

इस प्रस्‍ताव में कहा गया है कि प्‍लेटफॉर्म इस तरह का होना चाहिए कि जो फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्‍टाग्राम, गूगल प्‍लस, फ्लिकर, प्‍ले स्‍टोर, ब्‍लॉग्‍स, फोरम और विभिन्‍न वेबसाइट्स आदि को सपोर्ट करे। इसके अलावा इसे इस तरह होना चाहिए ताकि इस पर इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल किया जा सके। सरकार को इस टूल से और भी बहुत सारी उम्‍मीदें हैं। सरकार यह भी चाहती है कि इस टूल पर न्‍यूज कवरेज के बारे में भी पूर्वानुमान मिल सकें।

प्रस्‍ताव के अनुसार, टूल ऐसा होना चाहिए जिससे दुनियाभर में विभिन्‍न चैनलों और अखबारों में चल रहीं ब्रेकिंग न्‍यूज और हेडलाइंस के द्वारा उनके झुकाव, व्यापार सौदों, निवेशकों, देश की नीतियों, लोगों की भावनाओं और पिछले ट्रेंड्स आदि के बारे में भी पता लगाया जा सके।

प्रस्‍ताव में यह भी कहा गया है कि टूल ऐसा होना चाहिए जिससे अनुमान लगाया जा सके कि इन हेडलाइंस और ब्रेकिंग न्‍यूज से दुनिया भर के लोगों में क्‍या धारणा बनेगी। देश के लिए कैसे इस धारणा को सकारात्‍मक बनाया जा सकता है। कैसे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों के भीतर राष्‍ट्रीयता की भावना पैदा की जा सकती है। दुनिया के सामने कैसे अपने देश की छवि को सुधारा जा सकता है और सोशल मीडिया अथवा इंटरनेट न्‍यूज और चर्चाओं को अपने देश की ओर सकारात्‍मक रूप से मोड़ा जा सकता है।

खास बात यह है कि ‘बेसिल’ ने 10 फरवरी 2018 को भी इसी प्रोजेक्‍ट के लिए इसी तरह की निविदा आमंत्रित की थी। यहां तक कि इस बारे में नीलामी पूर्व एक मीटिंग भी रखी गई थी, जिसमें 17 आवेदक शामिल हुए थे।

हालांकि अभी तक सिर्फ दो कंपनियों ‘सिल्‍वर टच’ (Silver Touch) और ‘फोर्थ डाइमेंशन’ (Fourth Dimension) ने तकनीकी नीलामी के लिए आवेदन किया था। दोनों की अनुभवी कंपनियां थी लेकिन इस नीलामी को इस वजह से कैंसल कर दिया क्‍योंकि कम से कम तीन आवेदन प्राप्‍त होने चाहिए थे।

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