ओजस कर रहा जिंदगियां रोशन, अब तक 28 करोड़ रूपए से ज्यादा का लाभ

बीकानेर। बीकानेर शहर में मदीना मस्जिद के पीछे रहने वाली सलमा के 2016 में जब दूसरी बेटी हुई तो घर मे रौनक छा गई। खुशियों को पर लग गए जब पता चला कि उसके बैंक खाते में साढ़े तीन हजार रूपए जमा हुए हैं। आशा दीदी फेमुनिशा ने बताया कि 1000 रूपए जननी सुरक्षा योजना के और ढाई हजार रूपए मुख्यमंत्री राजश्री योजना के तहत मिले हैं। बेटी का नाम ही रख दिया “खुशी”। ऑटो रिक्शा चलाकर घर चलाने वाले खुशी के पिता मोहम्मद रफीक के लिए भी ये प्यारा सा संबल था जो बेटी के लालन-पालन में काम आने वाला था। खुशी के 1 साल की होने पर फिर से खाते में ढाई हजार रूपए राजश्री योजना की दूसरी किश्त के रूप में जमा हो गए। ना कहीं चेक लेने जाना न जमा कराने। ना किसी की गरज ना 10 सवाल। बस जब जरूरत हुई एटीएम से निकाल लिए पैसे। ऐसी ही कुछ सौगात मिली गुर्जरों के मौहल्ले की शबीना और फरजाना को, माधोडिग्गी, खाजूवाला की इन्दुबाला को, गडियाला, कोलायत की हेमलता को और वार्ड न. 11 लूणकरणसर की गंगा को। ऐसी कहानियाँ कमोबेश राजस्थान के हर कोने में मिल जाएंगी जहां लोग मूर्त रूप लेते पारदर्शी डिजिटल इण्डिया के लाभ से अभिभूत हैं। ये संभव हो पाया है राजस्थान सरकार के ई नवाचार ऑनलाइन सॉफ्टवेयर ओजस के मार्फत।
सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के इस क्रन्तिकारी कदम के चलते लाखों प्रसूताओं को सरकारी मदद उस वक्त मिल जाती है जब उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है वो भी बिना किसी झंझट के। ध्यान बस इतना रखना है कि जब भी हॉस्पिटल जाएं अपना भामाशाह कार्ड साथ ले जाएं। इसे अपनी आदत में शुमार कर लेने मात्र से कई मुश्किलें आसान हो जाती हैं। ओजस की बदौलत जिले में लगभग साढ़े 12 करोड़ रूपए मुख्यमंत्री राजश्री योजना के तहत, साढ़े 12 करोड़ रूपए ही जेएसवाई के तहत और पौने 4 करोड़ रूपए शुभलक्ष्मी योजना के तहत भुगतान पारदर्शी तरीके से सीधे लाभार्थियों के खातों तक पहुँच चुके हैं। डीपीएम सुशील कुमार ने बताया कि चिकित्सा विभाग के स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन के नेतृत्व में राजस्थान में ओजस, आशा सॉफ्ट, ई-उपकरण जैसे कई ई नवाचार कर सिस्टम को आसान बनाने का काम किया गया है ना सिर्फ लाभार्थी के लिए बल्कि विभाग के लिए भी। जननी सुरक्षा योजना और राजश्री योजना जैसी फ्लैगशिप कल्याणकारी योजनाओं के तहत माँ को मिलने वाला वित्तीय लाभ यदि देरी से मिले तो उसे देने का मूल उद्देश्य ही पूरा नहीं होता। इसलिए इनके भुगतान में किसी भी कारणवश देरी नहीं होनी चाहिए और शत-प्रतिशत लाभार्थियों को इसका लाभ मिलना चाहिए। इस लिहाज से ओजस एक सॉफ्टवेयर मात्र नहीं बल्कि डिजिटल क्रांति का ध्वज वाहक है।

क्या है ओजस ?
ओजस प्रभारी जितेन्द्र सोलंकी ने बताया कि अगस्त 2015 में राज्य सरकार के क्रांतिकारी ई-नवाचार ओजस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जेएसवाई व शुभलक्ष्मी योजना के तहत देय वित्तीय लाभ को सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में देने की व्यवस्था शुरू की गई थी। अब समस्त पीएचसी व उच्चतर संस्थानों को ओजस केंद्र के रूप में विकसित करते हुए भुगतान ऑनलाइन किए जा रहे हैं। सरकारी व अधिस्वीकृत निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रसव होने पर नियमो के अधीन ग्रामीण क्षेत्र की महिला को 1400 रूपए व शहरी क्षेत्र की महिला को 1000 रूपए जननी सुरक्षा योजना व लड़की होने पर राजश्री योजना के तहत विभिन्न किश्तों में कुल 50,000 रूपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। शुभलक्ष्मी योजना की प्रथम 2 किश्तों का भुगतान भी ओजस के माध्यम से सीधा प्रसूता के बैंक खाते में किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
बीकानेर

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