हिन्दी की उदारता, नवनीयता ने ही उसे विश्वभाषा बनाया: डाॅ.मूलचंदानी

बीकानेर 14 सितम्बर। हिन्दी के विकास को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। विश्व व्यापी व्यवस्था में हिन्दी का स्वतः ही विकास हो रहा है। हिन्दी की इसी उदारता, नवनीयता ने उसे विश्वभाषा बनाया है।
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट अनुसंधान केन्द्र में आयोजित हिन्दी सप्ताह के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि एवं हिन्दी की व्याख्याता डाॅ.शालिनी मूलचंदानी ने कही। डाॅ.मूलचंदानी ने हिन्दी भाषा की वैश्विक स्थिति, साहित्य-कला क्षेत्र में इसके योगदान पर बात रखते हुए वर्तमान में इसके प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया के योगदान को भी सराहा,परंतु भाषा के स्वरूप को सही रखने हेतु प्रेरित किया।
इस अवसर पर निदेश्शक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डाॅ.एन.वी. पाटिल ने केन्द्र में 14-22 सितम्बर तक को आयोज्य हिन्दी सप्ताह का विधिवत् शुभारम्भ करते हुए कहा कि हिन्दी का विकास सर्वत्र देखा जा सकता है। हिन्दी भावों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, अतः भाषा में भावनाओं के समावेष का विशेष ध्यान रखा जाए ताकि वह अधिक प्रभावी बने।
डाॅ.पाटिल ने इतिहास के परिप्रेक्ष्य में अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत विश्व गुरू रहा है। अतः हमारे देश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को सही परिप्रक्ष्य में सामने रखे जाने की जरूरत है, ताकि हमारे अंदर विद्यमान भारतीयता गौरवान्वित स्वरूप में प्रकट हो। डाॅ.पाटिल ने हिन्दी सप्ताह के शुभ अवसर पर केन्द्र की अनुसंधान उपलब्धियों को किसानों के समक्ष सरल व सहज भाषा में रखने पर जोर दिया ताकि अनुसंधान का लाभ जरूरतमंदों को मिल सके।
उद्घाटन कार्यक्रम में प्रभारी राजभाषा डाॅ.बसंती ज्योत्सना ने हिन्दी सप्ताह के दौरान आयोज्य विभिन्न गतिविधियों व कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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