परंपराओं के निर्वहन ने सिंधी भाषा को वैश्विक बना दिया

प्रज्वल मुखी बाल गणेश का विसर्जन, सिंधी, राजस्थानी, पंजाबी सहित प्रादेशिक भाषाओं के संरक्षण-संवर्धन की कामना की
बीकानेर 17/9/18। विश्वास वाचनालय के तत्वावधान में लक्ष्मी नरसिंह निवास मंदिर सादुल कॉलोनी में पांच दिवसीय गणेश महोत्सव के अंतिम दिवस सोमवार को प्रज्वल मुखी बाल गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन देवीकुंड सागर में किया गया । इस अवसर पर “विभिन्न प्रदेशों में गणेशोत्सव की परंपरा” विषयक संगोष्ठी हुई जिसमें अलग अलग भाषायी प्रांतों में वहां की भाषाओं में निर्वहन की जा रही परंपराओं की तुलना में सभी राज्यों में ही नहीं वरन समूचे विश्व में फैले सिंधी समाज द्वारा सिंधी में किए जाने वाले निर्वहन की मिसाल देते हुए देवीचंद खत्री, मोहन थानवी, किशन सदारंगानी ने सिंधी भाषियों का अपना प्रांत न होते हुए भी युवाओं द्वारा सिंधी भाषा को वैश्विक भाषा समकक्ष बना देने पर साधुवाद ज्ञापित किया और गणेश जी महाराज को सिंधी, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती सहित सभी प्रादेशिक भाषाओं के संरक्षण-संवर्धन की प्रार्थना की। सादुल कॉलोनी से गणपति जी को एक बड़े वाहन में सागर तालाब ले जाया गया । बड़ी संख्या में श्रद्धालु विभिन्न वाहनों पर साथ में थे। मंदिर प्रांगण में बाल गणेश के समक्ष पं राजकुमार थानवी के द्वारा कथा-कीर्तन, हवन आदि अनुष्ठान किए गए। साधना, अनिता, रेखा, नेहा आदि महिला मंडली सदस्यों ने नवाचार करते हुए राजस्थानी, सिंधी, गुजराती, हिंदी और पंजाबी में गणेश – भजनों से समा बांधा। वाचनालय की बाल मंडली की शिल्पी थानवी रक्षा आचार्य प्रियंका कृतिका पंकज आदि ने पांचों दिन गणपति को तथा मंडप को विभिन्न तरीकों से सजाया । समाज के गणेश भक्तों ने सामूहिक रूप में गणपति की आरती की और प्रसाद वितरण किया गया ।
– मोहन थानवी, संस्थापक अध्यक्ष विश्वास वाचनालय

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