नोखा विधायक बिहारीलाल बिष्नोई ने की कई बिंदुओं पर बहस

नोखा । राजस्थान विधानसभा सत्र के अंतिम दिवस सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस में भाग लेते हुए को नोखा विधायक बिहारीलाल बिष्नोई ने किसानों की कर्जमाफी, नकली खाद्य पदार्थों पर अंकुष लगाने, राज्य में आर्थिक आरक्षण लागू करने, मौंठ का एमएसपी मूल्य तय करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भिजवाने, मूंग खरीद की तारीख बढाने, बेरोजगारी भत्ता लागू करने एवं स्थानीय पंचायतीराज चुनाव में शेक्षणिक योग्यता हटाने को लेकर सदन में जोरदार बहस की । श्री बिष्नोई ने सदन के माध्यम से सरकार को चेताया कि प्रदेष के किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफ करने की घोषणा के साथ सत्ता में आई सरकार यह बताए कि चुनाव पूर्व की जनसभाओं में अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों से उंगुलियों पर एक दो तीन चार से दस तक गिनते हुए भरोसा दिया था कि कांग्रेस पार्टी का राज आया तो कुल दस दिन के भीतर किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफ कर दिया जाएगा, जबकि सरकार का गठन हुए एक माह से ज्यादा समय गुजर गया है और किसान कर्जमाफी का कोई अता पता ही नहीं है ।
बिष्नोई ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, जिस पार्टी ने सत्ता प्राप्ति के साथ ही सम्पूर्ण कर्जा माफी को दो लाख तक के ऋण को माफ करने तक सीमित कर दिया है, उस पर भी मुख्यमंत्री जी असमंजस में है । उन्होने प्रदेष के अन्नदाता को धोखा दिए जाने पर कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसान अपने साथ हुए छलावे का जवाब आने वाले लोकसभा चुनाव में देगा । इसके साथ ही उन्होने प्रदेष में बन रहे नकली खाद्य पदार्थों पर प्रभावी रोक लगाने की भी मांग की ।
आज सदन में राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 295 के तहत बिहारीलाल ने नोखाषहर में दषकांे से रेहड़ी-ठैलों पर छोटा-मोटा धन्धा कर गुजर बसर करने वाले स्ट्रीट वैण्डर्स के कल्याण को लेकर सदन का ध्यान खींचा । श्री बिष्नोई ने कहा कि नोखाषहर में नगरपालिका द्वारा इन लोगों को बार-बार खदेड़ दिया जाता है, जिससे इनके बच्चों के भूखे मरने तक की नौबत आ जाती है । उन्होने स्ट्रीट वैण्डर्स को नोखा में स्थाई जगह के आंवटन व सूदखोरांे से बचाने हेतु क्रेडिट कार्ड की सुविधा दिये जाने का मामला उठाया ।
आज सदन में राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 50 के तहत स्थगन प्रस्ताव में बिहारीलाल ने राजस्थानी भाषा को राज्य की दूसरी राजभाषा बनाने के विषय में चर्चा हेतु स्थगन प्रस्ताव को लाने की अनुमति चाही थी । लेकिन सभापति महोदय द्वारा अनुमति नहीं दी गई ।

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