उस्ता कला के जरिए मेरा गौरव मेरा प्रतिष्ठालय को दिया साकार रूप

बीकानेर, 28 जनवरी। ’शौचालय’ घर का एक ऐसा कोना जो उपयोगिता की दृष्टि से भले अहम हो, पर देखभाल के नजरिए से हमेशा उदासीन ही रहा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के गांवों में लाखों लोगों के घरों में टॉयलेट बनाए गए लेकिन उपेक्षित से पड़े इस कोने को गोल्डन आर्ट के एक कलाकार राम भादाणी ने एक नया रूप देकर न केवल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना दिया बल्कि जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम के नवाचार मेरा गौरव-मेरा प्रतिष्ठालय को भी साकार रूप प्रदान किया।
बीकानेर मूल की चित्र शैली उस्ता कला, बादल पेंटिंग जो सदियों से हवेलियों-महलों की शोभा बढ़ाती रही, चित्रकार रामकुमार भादाणी ने शौचालय की दीवारों पर इसे उकेर कर भित्ति चित्र शैली की एक नई मिसाल स्थापित की है। बीकानेर पंचायत समिति के गाडवाला गांव में गोपाल चूरा के घर बने शौचालय की दीवारों पर इस कलाकार ने अपनी कूची से कला के नए आयामों को प्रस्तुत किया। बादल पेटिंग जो मरूप्रदेश में बारिश की बौछारों का एहसास दिलाने के प्रतीक के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखती है। इस पेंटिंग को शौचालय की दीवारों पर उकेर कर प्रतिकूल परिस्थितियों में घर की इज्जत(महिलाओं) को एक सुरक्षित जगह मुहैया करवाने का एक अनूठा संदेश दिया गया है। इतना ही नहीं, शौचालय की दीवारों पर बनाई गई मांडना कलाकृतियां यहां की लोक संस्कृति की जीवंत झलक को साकार करती है। भादाणी कहते हैं कि मांडणे हमारी संस्कृति में खुशहाली, प्रसन्नता और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इसी प्रतिष्ठा को उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़ा है। शौचालय के सामने की दीवार पर सुनहरे रंगों में बीकानेर मूल की उस्ता कला का चित्रण किया गया है। सुनहरे रंगों से झांकती यह पेंटिंग अपनी सुंदरता से तो लोगों के आकर्षण का केन्द्र तो बनी ही, साथ ही संदेश भी दे रही है कि शौचालय हर घर, परिवार और समाज के लिए कितना अहम है। स्वच्छता के क्षेत्र में हमेशा से पॉयनियर रहे बीकानेर में हुए इस नवाचार ने आसपास के कई गांवों के लोगों को भी प्रेरित किया और अन्य गांवों में भी प्रतिष्ठालय पेंटिंग का यह सिलसिला प्रारम्भ हुआ है। कलाकार राम भादाणी का कहना है कि इस पेंटिंग के जरिए वे लोगों को खुले में शौच की आदत को बदलने का संदेश देना चाहते हैं।
जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि भादाणी का यह प्रयास स्वच्छता के साथ सुंदरता का संदेश तो देगा ही इस कला को भी जन जन तक पहुंचाएगा।

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