नशामुक्ति के प्रेरक मुनिश्री राजकरण स्वामी का संथारा सम्पन्न

बीकानेर। गंगाशहर विराजित बहुश्रुत परिषद के सदस्य मुनिश्री राजकरणजी स्वामी का संथारा बुधवार सुबह 8 बजकर 18 मिनिट पर परिसम्पन्न हो गया है। मुनिश्री की बैकुंठी सुबह 11.30 बजे तेरापंथ भवन से निकाली गई। बैकुंठी से पूर्व हजारों लोगों ने मुनिश्री के दर्शनलाभ लिए। ऊर्जा एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भूजल, कला एवं संस्कृृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने भी मुनिश्री के दर्शन किए। बैकुंठी तेरापंथ भवन से गंगाशहर पुरानी लाइन ओसवाल मुक्तिधाम पहुंची।
पवन महनोत ने बताया कि गत 7६ वर्षों से संयम जीवन में जी रहे मुनिश्री राजकरण स्वामी का जन्म 15 मार्च 1927 में हुआ तथा 16 वर्ष की आयु में ही आचार्यश्री तुलसी से दीक्षा ग्रहण कर ली थी। गंगाशहर के मूल निवासी मुनिश्री ने 25 एकान्तर वर्षी तप भी किए हैं। छूआछूत को दरकिनार करते हुए इन्होंने हर जाति वर्ग के यहां से गोचरी (भिक्षा) ली। आचार्यश्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती तथा अवधान विधा के जानकार मुनिश्री ने सुदूर क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार करते हुए करीब सवा तीन लाख विद्यार्थियों को अणुव्रत प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान का ज्ञान दिया। नशा मुक्ति के क्षेत्र में मुनिश्री ने अनूठे आयाम प्रस्तुत किए जिनमें मेघवाल जाति के लगभग 10 हजार जनों को व्यसन से मुक्ति होने की प्रेरणा दी। गुजरात, आंध्रप्रदेश, रामेश्वरम् कन्याकुमारी, भूटान तथा नेपाल सहित दक्षिण व पूरब की लगभग एक लाख किमी पैदल यात्रा कर लोगों को व्यसन व संयम की सीख दी।
मुनिश्री राजकरणजी स्वामी के भतीजे विजयचन्द सामसुखा, धर्मचन्द सामसुखा, राजेन्द्र सामसुखा, खेतूलाल सामसुखा, देवचन्द सामसुखा, शुभकरण सामसुखा, करणीदान सामसुखा, माणकचन्द सामसुखा, जीवराज सामसुखा, सूर्यप्रकाश सामसुखा, नारायणचन्द गुलगुलिया, पूर्व यूआईटी अध्यक्ष महावीर रांका, महापौर नारायण चौपड़ा, सुमेरमल दफ्तरी, विजय सामसुखा, गणेश बोथरा, धर्मेन्द्र डाकलिया, पत्रकार लूणकरण छाजेड़, जतनलाल दूगड़, तेयुप मंत्री पवन छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू आंचलिया, मंत्री संजू लालाणी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष राजेन्द्र बोथरा, पार्षद मोहम्मद ताहिर, मधुसूदन शर्मा, तेजाराम राव, श्रवण गोदारा, पंकज गहलोत, रमेश भाटी, प्रणव भोजक, कुलदीप यादव तथा विक्की गहलोत सहित अनेक लोग बैकुंठी में शामिल हुए। गंगाशहर, भीनासर, बीकानेर, उदासर इत्यादि क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने पहुंच कर मुनिश्री के अंतिम दर्शन किए।

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