जिले को तम्बाकू मुक्त करना एक सामाजिक जिम्मेदारी भी

बीकानेर। जिले को तम्बाकू व धूम्रपान मुक्त करना ना केवल पुलिस विभाग का काम है बल्कि ये एक बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी है इसलिए इसे अपने फर्ज से ऊपर समझें और कोटपा एक्ट 2003 की शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित करें। ये कहना था जिला पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा का वे सदर थाना के सभागार में चिकित्सा विभाग के एनटीसीपी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मासिक क्राइम समीक्षा बैठक के साथ आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने कहा कि वैसे तो पुलिस विभाग के लिए कोटपा एक्ट एक बहुत छोटा विषय है क्योंकि बड़े जघन्य अपराधों को भी विभाग नियंत्रित करता है लेकिन सामजिक तौर पर देखें तो ये विकराल समस्या है जिसे हम बड़े आसानी से समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने एक्ट के तहत नियमित चालानिंग करने और मासिक प्रतिवेदन भेजने के निर्देश सभी थाना प्रभारियों को दिए।
सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने जानकारी दी कि सभी हुक्काबार अवैध हैं क्योंकि कोटपा एक्ट में इनके लाइसेंस का कोई प्रावधान ही नहीं है अतः पुलिस विभाग द्वारा इन्हें बंद करवाने की कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोटपा एक्ट की धारा 7 के तहत खुली सिगरेट बेचना भी अपराध है। कोई तम्बाकू उत्पाद किसी नाबालिक को दिखना नहीं चाहिए लिहाजा कोई उत्पाद बाहर की तरफ प्रदर्शित होना धारा 6 बी के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान प्रदेश में धूम्रपान बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि रूपों में प्रचलित है। हमारे यहाँ 50 प्रतिशत से अधिक पुरूष धुम्रपान करते है। धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक तो है ही अपितु परोक्ष धूम्रपान से भी कैंसर, अस्थमा, स्ट्रोक आदि रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. योगेंद्र तनेजा ने कोटपा एक्ट की धारा 4, 5, 6 व 7 की विस्तृत जानकारी देते हुए लागू करने में पुलिस विभाग की अपेक्षित भूमिका रेखांकित की। उन्होंने जानकारी दी कि मुख्यतः धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वालों व इसके लिए साधन उपलब्ध करवाने वालों पर 200 रूपए तक का चालान जबकि धारा 6 बी के तहत विद्यालयों-शिक्षण संस्थानों के 100 गज दायरे में सिगरेट बेचने वालों पर चालान किया जा सकता है। नाबालिकांे को तम्बाकू उत्पाद न बेचने का साइनेज ना लगाने वालों पर भी धारा 6 ए के तहत चालान किये जाते हैं। धारा 5 के तहत तम्बाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण रोक है। उन्होंने बताया कि धारा 7 के तहत सभी तम्बाकू उत्पादों के पैकेट के 85 प्रतिशत भाग पर तम्बाकू के नुकसानों को बताती सचित्र वैधानिक चेतावनी होनी चाहिए।
कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण राजकुमारी चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर पवन कुमार, समस्त वृताधिकारी व थाना प्रभारियों के साथ जिला तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के महेंद्र जयसवाल, आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य व डीएनओ मनीष गोस्वामी मौजूद रहे।

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