पाण्डुलिपि प्रकाषन सहयोग योजना में प्रविष्टियां आमंत्रित

जयपुर, 17 जून (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा ’’पाण्डुलिपि प्रकाषन सहयोग योजना’’ के अन्तर्गत सिन्धी लेखकों की अप्रकाषित पाण्डुलिपि/अनुवाद प्रकाषन हेतु राजस्थान के लेखकों से पाण्डुलिपियां आमंत्रित की जाती है।

अकादमी प्रशासक एवं जयपुर संभागीय आयुक्त श्री के.सी.वर्मा ने बताया कि अकादमी द्वारा इस योजना में लेखक को 20,000/- की आर्थिक सहायता दी जायेगी। नियमानुसार किताब डेमाई साईज में कम से कम 80 (अस्सी) पृष्ठ एवं क्राउन साईज में 100 (एक सौ) पृष्ठ होने चाहिये। किताब के रूप में इसका 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूर्व में प्रकाषित नहीं होना चाहिये। किताब छपने के बाद लेखक को अकादमी कार्यालय के लिये 100 प्रतियां देनी होगीं। किताब का नाम मुख्य पृष्ठ पर रंगीन एवं आखिरी पृष्ठ (कवर) पर अकादमी के मुख्य उद्देश्य (जिसकी प्रति अकादमी उपलब्ध करायेगी) छपवाने आवष्यक होगें। किताब में इश्तहार/विज्ञापन छपवाने की इजाजत नहीं होगी। इस योजना में पाण्डुलिपि की रचनायें एक पृष्ठ अरबी लिपि में एवं दूसरे पृष्ठ में उसका अनुवाद देवनागरी लिपि में होने पर भी मंजूर की जा सकेगी, लेकिन अनुवाद को पृष्ठ संख्या में सम्मिलित नहीं माना जायेगा।

अकादमी सचिव ईश्वर मोरवानी ने बताया कि पाण्डुलिपि प्रकाशन में अनुवादक को मूल लेखक से अनुवाद करवाने की लिखित स्वीकृति लेनी होगी एवं मूल स्वीकृति पाण्डुलिपि के साथ अकादमी कार्यालय में भिजवानी आवष्यक होगी। मूल स्वीकृति नहीं होने पर पाण्डुलिपि पर विचार नहीं किया जायेगा। अकादमी के आर्थिक सहयोग से पूर्व में प्रकाषित पुस्तकों को अनुवाद प्रकाशन में शामिल नहीं किया जायेगा। जिन लेखकों की पाण्डुलिपि को वित्तीय वर्ष 2018-19 में अकादमी द्वारा आर्थिक सहयोग दिया गया है, वे लेखक इस वित्तीय वर्ष 2019-20 की योजना में भाग नहीं ले सकेगें।

लेखक को पाण्डुलिपि (दस्तखत) की तीन प्रतियां भिजवानी होगीं। एक प्रति पर लेखक का नाम, पता लिखा हो एवं दो प्रतियों पर लेखक का नाम, पता लिखा न हो। पाण्डुलिपियां अकादमी कार्यालय में पहुंचने की अन्तिम तिथि 31 अगस्त, 2019 है। अधिक जानकारी के लिये अकादमी कार्यालय के दूरभाष सं. 0141-2700662 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

(ईश्वर मोरवानी)
सचिव

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