9 लाख बच्चे-किशोर खाएंगे एल्बेन्डाजोल गोली

बीकानेर। बच्चों में कुपोषण की रोकथाम, शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 8 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति (डीवर्मिंग) दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम के तहत 1 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को आंगनबाडी केन्द्रांे, सरकारी-निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, कोचिंग सेंटरों व मदरसों में पेट के कीड़े मारने की दवा एलबेण्डाजोल गोली निशुल्क खिलाई जाएगी। इसके बाद 19 अगस्त को माॅप अप दिवस मनाया जाएगा जब 8 अगस्त को छूटे हुए बच्चों को एलबेंडाजोल गोली खिलाई जायेगी। कार्यक्रम का जिला स्तरीय शुभारम्भ गुरुवार 8 अगस्त को प्रातः 11 बजे राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में बालिकाओं को एल्बेंडाजोल गोली खिला कर किया जाएगा।
इस सन्दर्भ में बुधवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई।

स्कूल-कॉलेजों में 9 लाख गोलियां खिलाएंगे
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि जिले में 1,988 सरकारी, 1,399 निजी स्कूल, 1,327 आंगनवाड़ी केन्द्रों, 80 कॉलेज में लगभग 9 लाख बच्चों को डीवर्मिंग गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिले में 9,62,000 गोलियों की आपूर्ति कर दी गई है। अभियान में शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। अभियान के नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमएचओ (प.क.) डॉ योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में 1 से 2 वर्ष तक के बच्चे को ऐल्बेण्डाजोल 400 एमजी की आधी गोली को दो चम्मच के बीच में रखकर चूरा करके स्वच्छ पीने के पानी में घोलकर पिलाई जायेगी व 2 से 6 साल के बच्चे को 1 गोली चबाकर खाने को दी जाएगी। कार्यक्रम का संचालन जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने किया। सहायक लेखाधिकारी अनिल आचार्य, डीपीएम सुशील कुमार, नेहा शेखावत, नवनीत आचार्य आदि उपस्थित रहे।

दवा है सुरक्षित
डॉ योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि यह दवा पूर्ण सुरक्षित है। जो बच्चे स्वस्थ दिखें उन्हें भी ये खिलाई जानी हैं क्योंकि कृमि संक्रमण का प्रभाव कई बार बहुत वर्षों बाद स्पष्ट दिखाई देता है। मिर्गी के दौरे आने वाले बच्चों को ये दवाई नहीं खिलाई जायेगी।

कृमि संक्रमण के दुष्परिणाम
सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि शरीर में कृमि संक्रमण से शरीर और दिमाग का सम्पूर्ण विकास नही होता है और कुपोषण और खून की कमी होने से हमेशा थकावट लगती रहती है। भूख ना लगना, बैचैनी, पेट में दर्द, उल्टी-दस्त व वजन में कमी आने जैसी समस्याएँ हो जाती हैं बच्चों में सीखने की क्षमता में कमी और भविष्य में कार्यक्षमता में कमी आ सकती है।

बचाव
आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि कृमि संकमण से बचाव के लिये खुली जगह में शौच नहीं करना चाहिए, खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए और फलों और सब्जियों को खाने पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए । नाखून साफ व छोटे रहें, साफ पानी पिएँ, खाना ढक कर रखें और नंगे पाँव बाहर ना खेलें, जूते पहन कर रखें।

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