32 करोड़ से रोशन होगा शाहगढ़ बल्जके शिफ्टिंग सैंड ड्यून

जैसलमेर पाकिस्तान सीमा से सटे पश्चिमी सरहद पर जैसलमेर जिले के शाहगढ़ बल्ज का 30 किमी का इलाका, जहां पर 80 से 100 फीट ऊंचे शिफ्टिंग सेंड्यूज (हवा के साथ जगह बदलने वाले रेत के टीले) अब रोशन होंगे। इस इलाके में पहली बार तारबंदी के पास 40 से 60 फीट ऊंची हाईमास्ट लाइटें लगाई जाएंगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय व बीएसएफ की हाईलेवल एम्पावर्ड कमेटी (एचएलईसी) ने 15 दिन पहले ही 32 करोड़ रुपए का ड्रीम प्रोजेक्ट स्वीकृत किया है।

सूत्रानुसार राजस्थान से सटे 1037 किमी लंबे पाकिस्तान बॉर्डर पर सिर्फ 30 किमी के इस इलाके में बॉर्डर फ्लड लाइट नहीं लगी हैं। ऐसे में बीएसएफ रात में पेट्रोलिंग ड्रेंगन लाइट की रोशनी से करती हैं। प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद जल्द ही सीपीडब्ल्यूडी टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर सीमा पर काम शुरू करेगा। सीपीडब्ल्यूडी बीएफएल विंग जैसलमेर के एक्सईएन राम कुमार ने सीपीडब्ल्यूडी की इलेक्ट्रिक व सिविल विंग मिलकर काम करेगी। कम्पोजिट टेंडर तैयार किया जा रहा है।

सर्वे कराया गया: शाहगढ़ बल्ज में तारबंदी बार-बार धोरों के नीचे दबती हैं। ऐसे में रात में 10 से 12 घंटे तक पेट्रोलिंग करना बीएसएफ के जवानों के लिए चुनौती भरा होता है। 4 साल पहले गृह मंत्रालय ने पहले सीपीडब्लयूडी से सर्वे कराया। इसके बाद एक प्राइवेट एजेंसी ने आईआईटी दिल्ली के साथ सर्वे किया। पर स्थायी फ्लड लाइट लगाने का सुझाव नहीं मिला।

टीले ऐसे कि इंसान खो जाएं, कंकाल मिल चुके : इलाका इतना खतरनाक है कि यहां पर सांप व बिच्छु तो मिलते ही हैं। 80 से 100 फीट ऊंचे धोरों में दिशा भटकने का डर रहता है। धोरों में कंकाल भी मिले हैं। पहले यहां रास्ता भटकने से इंसान खो जाते थे। हालांकि अब कम्पास और कम्युनिकेशन के साधन के कारण ऐसा नहीं होता है।

80 से 90 हाईमास्ट लाइट व पोल लगेंगे

12 से 20 मीटर ऊंचाई के हाईमास्ट पोल लगेंगे यानी 60 फीट तक ऊंचा।

2 से 4 मीटर की गहराई में पोल की फाउंडेशन होगी, जमीन के बाहर 10 से 16 मीटर तक।

1 हाईमास्ट पर 4 से 5 लाइटें लगेगी, जो 500 मीटर तक एरिया कवर करेगी।

150 से 300 वॉट क्षमता की एलईडी लगाई जाएगी।

30 किमी में 80 से 90 हाईमास्ट लाइट व छोटे पोल लगेंगे।

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