अवंती ने ‘संकल्प’ ऐप पर शामिल किए एनसीईआरटी के गणित एवं विज्ञान के सत्र

जयपुर, अप्रैलः 2010 में स्थापित एक सामाजिक उद्यम अवंती ने सरकारी स्कूलों के कक्षा 9 से 12 के हिंदी माध्यम छात्रों के लिए एक निःशुल्क लर्निंग ऐप का लॉन्च किया है। अवंती भारत के सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान की शिक्षा के लिए सबसे बड़े सिस्टम का संचालन करता है। अवंती को माइकल एण्ड सूज़न डैल फाउन्डेशन, पियरसन, टीपीजी, आशा इम्पैक्ट और राईज़ का समर्थन प्राप्त हैं
संकल्प ऐप में गणित और विज्ञान के सभी एनसीईआरटी विषयों पर वीडियो कंटेंट, हल किए गए उदाहरण और क्विज़ रिकॉर्ड किए गए हैं, जिन्हें भारत में सरकारी स्कूलों के अध्यापकों और हार्वर्ड युनिवर्सिटी के सहयोग से तैयार किया गया है। कंपनी ने ऐप ओपन-सोर्स के लिए एक सोर्स कोड बनाया है और अगले कुछ महीनों में किंडरगार्टन से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिए सभी विषयों में कंटेंट पेश करने की योजना बनाई है।
इसके अलावा अवंती ने कक्षा 9-12 के लिए संकल्प यूट्यूब चैनल पर निःशुल्क लाईव क्लासेज़ की घोषणा की है। ये क्लासेज़ टिक-टॉक, फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होंगी। लाईव क्लासेज़ 20 अप्रैल से शुरू होंगी और पूरे अकादमिक वर्ष के दौरान जारी रहेंगी।
पिछले 10 सालों के दौरान अवंती ने सरकारी स्कूलों पर गहरा प्रभाव उत्पन्न किया है। अवंती दो मुख्य स्कूल प्रणालियों- जवाहर नवोदय विद्यालय समिति और हरियाणा सरकार- के साथ मिलकर काम करती है, जहां कुल 250 से अधिक स्कूल अवंती की तकनीक एवं कंटेंट का इस्तेमाल कर सुनिश्चित करते हैं कि छात्र ऑनलाईन एवं ऑफलाईन लर्निंग से लाभ उठा सकें। राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड सरकार भी इस मॉडल को अपनाने के लिए अवंती से बातचीत कर रहे हैं ताकि कक्षा 9-12 के छात्रों की पढ़ाई में रूकावट न आए।
वर्तमान में भारत कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन से गुज़र रहा है। अन्य स्कूलों के छात्र प्रीमियम शिक्षा पा सकते हैं, अपने स्कूलों से ऑनलाईन निर्देशों से लाभान्वित हो सकते हैं, इसके विपरीत सरकारी स्कूलों के छात्र, खासतौर पर इस अवधि में ज़्यादा संवेदनशील और वंचित हो गए हैं। खासतौर पर कक्षा 9-12 के छात्रों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाईन लर्निंग से लाभान्वित हो सकते हैं, खासतौर पर कक्षा 9-12 के 50 फीसदी से अधिक छात्रों के पास एंड्रोइड फोन और इंटरनेट कनेक्शन है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए ज़रूरी है कि इन छात्रों को नियमित प्रशिक्षण और ऑनलाईन गुणवत्तापूर्ण कंटेंट उपलब्ध कराया जाए।
सरकारी स्कूलों के ज़्यादातर छात्र अपनी स्थानीय भाषा में ही पढ़ते हैं, कक्षा 9-12 के 3 करोड़ से अधिक छात्रों के लिए अध्ययन का माध्यम हिंदी है। हिंदी में व्यापक एवं संपूर्ण डिजिटल कंटेंट की कमी है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों के छात्र किताबों एवं अन्य सामग्री के लिए सरकार पर निर्भर करते हैं, वे पढ़ाई के लिए किताबें खरीदने में सक्षम नहीं होते। (अगर लॉकडाउन खुलने के बाद ऐसे विकल्प हों तो भी वे किताबें नहीं खरीद सकते
‘‘घर में साधनों की कमी और लॉकडाउन के चलते इस वित्तीय तनाव के बीच छात्रों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। भारत में दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है, ऐसे में ज़रूरी है कि इन छात्रों के लिए शिक्षा को सुनिश्चित किया जाए और वे घर पे स्कूल का लाभ उठा सकें।’’ अक्षय सक्सेना, सह-संस्थापक, अवंती एवं आईआईटी बॉम्बे और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के पूर्व छात्र ने कहा।
अवंती ने डिजिटल कंटेंट पर गहरा प्रभाव उत्पन्न किया है, रोज़मर्रा की लर्निंग में इसके परिणाम स्पष्ट हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय स्कूलों की बात करें तो अवंती के छात्रों द्वारा राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने की संभावना 3 गुना होती है (आईआईटी, जेईई और एनईईटी में 60 फीसदी)। मैक आर्थर फाउन्डेशन द्वरा वित्तपोषित एक बड़े आरसीटी में अवंती के छात्रों ने एक साल में गणित में 30 फीसदी सुधार किया। हरियाणा में एक साल में 50 फीसदी क्लासरूम टाईम अब डिजिटल टेक्नोलॉजी पर चल रहा है। हरियाणा में सभी 45000 छात्रों के पास पहले से अवंती ऐप उपलब्ध है अैर वे शटडाउन के बावजूद अपने अध्ययन को जारी रखे हुए हैं।

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