मजदूरों को सहायता देने में सरकार व श्रम विभाग दोनों ही विफल रहे

मजदूरों को सहायता देने में सरकार व श्रम विभाग दोनों ही विफल रहे कमठा मजदूर यूनियन बाड़मेर के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की पूर्व संध्या पर प्रेस बयान जारी कर कहा कि कि पिछले 5 साल में निर्माण श्रमिकों की कल्याणकारी योजनाओं के नो लाख से अधिक सहायता आवेदन लेबर डिपार्टमेंट ने अटका कर रखे गए हैं इसकी वजह से राजस्थान के नो लाख मज़दूर कल्याणकारी योजनाओं की सहायता से वंचित है मजदूर नेता लक्ष्मण बडेरा ने कहा कि सरकार ने मजदूरों के बच्चों को पढ़ाने के लिए आर्थिक रूप से सहयोग करने के लिए निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना का निर्माण किया था जिसके अंतर्गत मजदूरों ने साढ़े छः लाख सहायता आवेदन पेश किए थे लेकिन लेबर डिपार्टमेंट के अफसरों ने इन सहायता आवेदनों को स्वीकार करने की बजाय ईमित्र की आईडी पर कोई न कोई आपत्ति डाल कर के वापस भेजकर सहायता राशि से वंचित करने का षड्यंत्र किया है इस कारण शिक्षा विभाग में पढ़ रहे हैं साडे छह लाख बच्चों को सहायता राशि से वंचित होना पड़ा इससे पूर्व सरकार ने 2016 में निर्माण श्रमिकों की बच्चियों के लिए शुभ शक्ति योजना बनाई जिसके अंतर्गत 18 साल की पुत्री के आठवीं पास होने पर पचपन हजार रुपये की सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया इस योजना में तीन लाख सहायता आवेदन लेबर डिपार्टमेंट के पास में श्रम विभाग ने अटका कर रखें और श्रमिकों को सहायता नहीं दी और इस वजह से मजदूरों में भारी निराशा हुई है और दूसरी तरफ श्रम विभाग ने प्रसूति सहायता योजना बनाकर मजदूरों के घर पर प्रसव होने पर सहायता देने का जो प्रावधान था उसमें भी 30,000 से ज्यादा सहायता राशि आवे दन विभाग ने अटका कर रखे हैं और इस वजह से 30,000 से ज्यादा प्रसूति के सहायता आवेदन मजदूरों के पेंडिंग पड़े हैं मजदूर की मृत्यु होने पर सहायता राशि दो लाख की परिवार को सहायता मिलती है और दुर्घटना में मृत्यु होने पर पांच लाख की सहायता मिलती है इस योजना के तहत भी दस हजार से ज्यादा सहायता आवेदन विभाग ने अटका कर रखें और दस हजार मजदूरों के परिजन मजदूर की मृत्यु के बाद में सहायता को तरस रहे है मृतक मजदूर परिवार को आर्थिक तकलीफो कासामना करना पड़ रहा है लेकिन विभाग उनकी परेशानी को नजरअंदाज करके मजे कर रहा है इसके अलावा निर्माण श्रमिकों के लिए कोरोना वायरस के दौरान इस महामारी में जो सहायता देने का जो सिस्टम शुरू हुआ है एक महीना गुजर जाने के बावजूद एक लाख से अधिक मजदूरों को अभी तक इसलिए सहायता नहीं मिली कि उनके श्रमिक कार्ड में भामाशाह आधार कार्ड अपडेट नहीं है और यह काम श्रम विभाग को करना था श्रम ने समय पर किया नहीं उसकी वजह से मजदूरों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है इसके अलावा सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी के 500 से ज्यादा मजदूरों को सहायता राशि से वंचित होना पड़ रहा है मजदूर नेता लक्ष्मण बडेरा नेअफसोस जताते हुए कहा कि भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मंडल राजस्थान की योजनाओं में पंजीकृत 30 लाख मजदूरों को श्रम विभाग सहायता देने में पूर्ण रुप से विफल रहा अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की पूर्व संध्या पर अफसोस जताते हुए कहा कि मजदूरों को कल्याणकारी योजनाओं में लाभान्वित करने की सरकार की रुचि नहीं है इस कारण 30 लाख पंजीकृत मजदूरों में 100000010 लाख सहायता आवेदन श्रम विभाग ने अटका कर रखे हैं और विभाग इस तरफ ध्यान भी नहीं दे रहा है और राजस्थान सरकार मजदूरों की अनदेखी कर रही है इस कारण मजदूर बहुत परेशान है और तो और राज्य सरकार ने लोक डाउन अवधि में मजदूरों को मजदूरी की भुगतान का भरोसा दिलाया था लेकिन किसी भी कंपनी ने लॉक डाउन के नौकरी के दौरान मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं किया और इस संबंध में और इस वजह से मजदूरों में भारी निराशा हुई है मजदूर नेता लक्ष्मण बडेरा ने बताया कि केंयर्न वेदांता जैसी प्रतिष्ठित तेल कंपनियों के अधीन काम करने वाले मजदूरों को कंपनी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क और सेनीटाइजर तक भी उपलब्ध नहीं कराया वेतन नहीं दिया राशन पानी नहीं दिया इसकी सूचना सरकार को देने के बावजूद भी सरकार ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है सरकार मजदूरों के हित की बजाई कंपनियों के हित साधने में लगी लगी हुई है

error: Content is protected !!