मप्र का राजस्थान के साथ जल विवाद बना राजनीतिक मुद्दा

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच जल विवाद निपटाने के लिए जयपुर में हुई बैठक में मप्र के प्रमुख जल संसाधन सचिव राधेश्याम जुलानिया ने राजस्थान के कमांड एरिया डेवलपमेन्ट (सीएडी) के प्रमुख सचिव संजय दीक्षित को मप्र. में घुसने नहीं देने की धमकी दे दी। दीक्षित ने मप्र. जाकर बांधों में रोके जा रहे राजस्थान के हिस्से के पानी का निरीक्षण करने की बात कही थी।

धमकी के बाद राजस्थान के प्रमुख जल संसाधन सचिव ओ.पी सैनी ने जुलानिया को ऐसी भाषा का इस्तेमाल न करने की नसीहत दी। इस पर मप्र. के अधिकारियों ने राजस्थान से किसी भी विवाद को हल नहीं करने की बात कही और बैठक खत्म हो गई।

जुलानिया ने मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू को मामले की जानकारी दी और जल विवाद जल्द सुलझाने की बात कही। जुलानिया ने कहा, ऐसा न होने पर दोनों प्रदेशों के तापीय और परमाणु ऊर्जा संस्थानों को पानी मिलना बंद हो जाएगा। फसलें भी सूख जाएंगी। बैठक शुरू होने पर राजस्थान ने पहले के समझौते से मप्र. पर बकाया चल रहे 102 करोड़ रुपए जल्द देने की मांग की। मप्र के अधिकारियों ने मांग ठुकरा दी।

राजस्थान ने पक्ष रखा कि अगर यह पैसा नहीं मिलता है, तो इसकी एवज में राजस्थान को उसके हिस्से का 1.1 मिलियन वर्ग फीट क्षेत्र का पानी छोड़ दे, ताकि इस पैसे की भरपाई हो सके। इस पर मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने पानी का ऐसा कोई हिस्सा होने से ही मना कर दिया।

राजस्थान के अधिकारी चाहते थे कि मप्र. में गांधी सागर के ऊपर छोटे-बड़े बांध है, ये अधिक पानी रोक लेते है, मप्र पानी का हिस्सा कम करे। इस मसले में राजस्थान के प्रमुख सीएडी सचिव संजय दीक्षित ने कहा कि देश में कही भी आने-जाने का संवैधानिक अधिकार हर व्यक्ति को है, लेकिन मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने धमकी देकर इसका उल्लंघन ही किया है।

वहीं मध्यप्रदेश के प्रमुख जल संसाधन सचिव राधेश्याम जुलानिया का कहना है कि राजस्थान के अधिकारी खुद कोई जानकारी नहीं देना चाह रहे थे, लेकिन निरीक्षण करना चाहते थे। हमने मना कर दिया।

जल बंटवारे को लेकर अधिकारियों के बीच विवाद तो सोमवार शाम हुआ, लेकिन अब यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस इस विषय पर भाजपा शासित मध्यप्रदेश सरकार को घेरने में जुटी है।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रमाकांत व्यास का कहना है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के इशारे पर मप्र. के अधिकारियों का रवैया गलत रहा। इधर भाजपा प्रवक्ता, विधायक भवानी सिंह राजावत का कहना है कि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार में आपसी विवादों को निपटाने की समझ ही नहीं है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही इसमें दिलचस्पी नहीं लेते और ना ही समझ रखते है।

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