झालावाड़ का ऐतिहासिक रैन बसेरा खाक

झालावाड़ से छह किलोमीटर पहले तालाब के किनारे बना रैन बसेरा मंगलवार रात को जलकर खाक हो गया। रैन बसेरा झालावाड़ का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल था। एक शताब्दी पुराना लकड़ी से बने डाक बंगले का देखरेख के अभाव और लापरवाही से नामों निशान मिट गया।

जानकारी के अनुसार झालावाड़ का प्रमुख पर्यटन का केंद्र रैन बसेरा मंगलवार देर रात जलकर खाक हो गया। पर्यटन के विकास के लिए इसे करीब एक साल पहले ही आटीडीसी को सौंपा गया था। लकड़ी के बने इस भवन को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक झालावाड़ आते थे। लकड़ी का होने के कारण यहां मोमबत्ती सहित अन्य अग्नि उपकरण जलाने प्रतिबंघित थे। आग लगने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है।

करीब एक शताब्दी पहले यहां के तत्कालीन महाराजा राजेंद्र सिंह इस रैन बसेरे को लखनऊ की एक प्रदर्शनी से यहां लाए थे। हालांकि मूल रूप से इसे देहरादून वन शोध संस्थान ने बनाया था। उस वक्त इसे यहां लाने का कुल खर्च 50 हजार रुपए बैठा था और आज की तारीख में इसकी कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जाती है। लकड़ी का बना होने के कारण इसे एक झील के बीच स्थापित किया गया और इसके चारों तरफ सुंदर बाग तैयार किया गया।

रैनबसेरा सालों तक सिंचाई विभाग के पास रहा था। लेकिन पर्यटन एवं विकास के नाम पर इसे करीब एक साल पहले आरटीडीसी को सौंप दिया गया। आरटीडीसी को मिलने के साथ ही इसका बिजली कनेक्शन काट दिया गया। और एक साल के भीतर ही ऐतिहासिक और पर्यटन का प्रमुख केंद्र जलकर खाक हो गया।

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