साहित्यकार थानवी के ऐतिहासिक उपन्यास से बीकानेर गौरवान्वित

बीकानेर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली National Council for Promotin of Sindhi Language द्वारा बीकानेर के बहुभाषी साहित्यकार मोहन थानवी का उपन्यास कूचु ऐं शिकस्त देश विदेश की 150 लाइब्रेरियों तक पहुंचाया गया है। एनसीपीएसल की ओर से राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास की योजनाओं के तहत उपन्यास को FREE GIFT FROM NCPSL अंकित कर राजस्थान के विभिन्न जिलों की 16 एवं पूरे देश की 150 लाइब्रेरियों में भिजवाया गया है जिनसे बड़ी संख्या में विदेशी पाठक भी जुड़े हुए हैं। एनसीपीएसएल के डायरेक्टर निर्मल गोपलानी ने थानवी को उन 150 लाइब्रेरियों की सूची उपलब्ध करवाई है जहां उपन्यास भेजा गया। थानवी का यह ऐतिहासिक उपन्यास ईस्वी सन् 712 में सिंध प्रदेश पर विदेशी आतताइयों के आक्रमण की परिणति से ठीक पहले के करीब तीन माह के कथानक पर बुना हुआ है। इसमें तत्कालीन सिंध में भारतीय नारी की गौरवमयी गाथा एवं देशभक्ति का जज्बा सामने आता है। 1300 साल पहले के इस घटना क्रम में थानवी ने उस जौहर को भी अंकित किया है जो इतिहास के पन्नों में दबा पड़ा है।

थानवी हिंदी, सिंधी, राजस्थानी और पंजाबी में निरंतर सृजनरत हैं और उनकी भाषा मंत्रालय की भाषा, तीनों अकादमी की मधुमती, जागती जोत, रिहाण, पंजाब केसरी, युगपक्ष आदि पत्र पत्रिकाओं में 60 से अधिक रचनाएं प्रकाशित एवं जवाहर कला केंद्र, सुजागु सिंधी, संबंधित भाषा अकादमियों से पुरस्कृत है।ं करीब 15 साल से वे नियमित रूप से दैनिक और पाक्षिक पत्रों में सिंधी और हिंदी में नियमित कालम लिख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मोहन थानवी की यह नौवीं प्रकाशित कृति है और वे क अक्षर से आरंभ होने वाले शीर्षक से ककहरा पूरा कर करतार सिंह उपन्यास, काला सूरज उपन्यास, किस्सा ए प्रस्तर उद्धारक लंबी कविता, कील स्यूं बिंध्योड़ो / कीअं वेसार्यां नाटक…, कुसुम संतो उपन्यास, कूचु ऐं शिकस्त उपन्यास, केदार साहब उपन्यास, कैलंडर सूं बारै उपन्यास, कोलाहल से दूर नाटक, कौस्तुभ भरा कोटर चार भाषाओं में काव्य संग्रह , कंडा कहानी,… कहकशां नाटक का सृजन कर चुके है। इनमें कडां और कहकशां का प्रकाशन शेष है लेकिन ये पुरस्कृत रचनाएं हैं।

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