उदयपुर। भारतीय सिन्धु सभा के राजस्थान द्वारा चित्तौड़ प्रान्त के कार्यकर्ताओं का दो दिवसीय अभ्यास वर्ग शनिवार सुबह उदयपुर के गुलाब बाग रोड, कमलावाडी स्थित सिन्धी धर्मशाला में शुरू हुआ। सुबह 11.00 बजे उद्घाटन सत्र की शानदार शुरूआत रही जिसमें चित्तौड़ प्रान्त के 12 जिलों के जिसमें उदयपुर, चित्तौड़, अजमेर, कोटा, डूंगरपुर, बंासवाड़ा, राजसमन्द, भीलवाड़ा, बारंा, झालावाड़ आदि जिलों के 190 कार्यकर्ताओं और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया। आज के पहले सत्र को सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बचानी, राष्ट्रीय महामंत्री घनश्याम दास कुकरेजा, मार्गदर्शक कैलाश चन्द्र शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष लेखराज माधु एवं संगठन मंत्री मोहन लाल जी वाधवानी ने संबोधित किया। प्रारम्भ में उदयपुर जिलाध्यक्ष श्री ताराचंद जेठवानी ने आये हुए प्रमुख अतिथियों एवं कार्यकर्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरूआत में आये हुए अतिथियों ने भगवान झूलेलाल, संत कंवरराम और भारतमाता के चित्रों पर मार्ल्यापण कर दीप प्रज्जवलित किया और श्री के.जे. ज्ञानी एवं श्री सुरेश कटारिया ‘‘सिन्धी अबाणी बोली-मिठणी अबाणी बोली’’ गाकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया। सभा के प्रदेश महामंत्री श्री मोहनलाल वाधवानी ने अपने संबोधन में सिन्धी समाज के सामने सिन्धी संस्कृति और भाषा आज जो चुनौतियंा उसकी जानकारी देते हुए कहा कि बुजुर्गो को अपने बच्चों को संस्कृति की जानकारी देनी चाहिए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री घनश्याम दास कुकरेजा ने बताया कि सिन्धी समाज अपनी पहचान खो रहा है, उसे कायम रखने के लिए हमें अपने तीज त्यौहार, पहनावा, संगीत, भाषा को नयी पीढ़ी को दते रहना चाहिए। सिन्धी भाषा हमारे संविधान की अनुसूची में है इसको अपनाकर भी हम प्रशासनिक सेवाओं में आ सकते हैं।
बुजुर्ग राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नवलराय बचानी ने अपने अनुभव को बताते हए सलाह दी कि सिन्ध से, सिन्धी भाषा से, सिन्धी संस्कृति से हमें अपना लगाव बनाये रखना चाहिये। संयुक्त परिवार की प्रथा कायम रखनी चाहिये और
निराश होने की बिलकुल जरूरत नहीं लेकिन साथ ही संस्कृति कायम रखने के प्रयास छोड़ने नहीं चाहिए।
सभा के मार्गदर्शक श्री कैेलाशचन्द्र शर्मा ने कार्यकर्ताओं को कहा कि कोई भी कार्य हम लेते हैं उसके पहले ठीक से समझने की आवश्यकता है और संकल्प और समर्पण भाव से समाज की शक्ति बन अपने कार्य को गतिशील बनाये और घर घर जाकर समाज के लोगों के साथ मिलकर समाज की समस्याओं का समाधान करें।
प्रदेशाध्यक्ष श्री लेखराज माधू ने महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि माता बच्चे की पहली गुरू है और अच्छे संस्कार देकर माता ही एक अच्छे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण रोल निभाती है। हम अपने तीज त्यौहार और संास्कृतिक गतिविधियंा चालू रखकर ही सिन्धी संस्कृति को जीवित रख सकते हैं और धर्मांतरण जैसी समस्या से भी पार पा सकते हैं। सभा के मंत्री श्री महेन्द्र तीर्थाणी ने सुरीले व जोशीले भाव के साथ बैठक का संचालन किया। उद्घाटन में स्थानीय समाज सेवी श्री प्रभुदास जी पाहुजा, झूलेलाल सेवा समिति अध्यक्ष प्रतापराय चुग, नानकराम जी कस्तूरी, डॉ. वापारीमल वाधवानी, हरीश जी नैनाणी, सिन्घु सभा के ताराचन्द जेठवानी, सुरेश कटारिया, डा. बी.डी. छाबड़िया, अशोक मंदवानी, हरीश चावला, नरेन्द्र खथूरिया, सुनिल छाबड़ा, महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष मोहिनी साधवानी, महामंत्री उर्मिल नंदवानी आदि उपस्थित थे। दोपहर 3.00 बजे पहले सत्र में समाज की समस्याओं समाधान के लिए वक्ताओं ने सेवा कार्य को महत्व देते हुए कहा कि समाज के भवन, मंदिर, धर्मशालाओं आदि स्थानों का सामाजिक, धार्मिक, संास्कृतिक, शैक्षिक कार्यो के लिए अधिक से अधिक उपयोग हो। संगठन को मजबूत बनाने के लिए चिंतन मंथन निरन्तर हो। शाम के सत्र में युवा पीढ़ी व महिलाओं की भागीदारी सत्र में चित्तौड़ से आयी महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश मंत्री वंदना वजीरानी और उदयपुर महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष्ज्ञ मोहिनी साधवानी ने अपने विचार व्यक्त किये। कल रविवार को दो सत्रों के बाद दोपहर में समापन होगा।
-मोहन तुलसयानी
जिलामंत्री
मो. 94131335031