पं. नेहरू एक शख्सियत नहीं एक विचार, एक संस्था थे – अटलानी

जयपुर, 14 नवम्बर (वि.)। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू एक शख्सियत नहीं बल्कि एक विचार, एक संस्था थे। देश की आजादी के लिये किये गये उनके प्रयत्नों को देशवासी कभी भुला नहीं सकते। उक्त विचार सिन्धी एवं हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार भगवान अटलानी ने राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत पूर्व प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में ’बारनि जो डींहु ऐं पं. जवाहर लाल नेहरू’ आयोजित विशिष्ट एकल व्याख्यान में व्यक्त किये।

अकादमी प्रशासक श्री दिनेश कुमार यादव ने बताया कि श्री अटलानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि तत्कालीन समय में महात्मा गाँधी के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता पं. जवाहर लाल नहेरू थे। अपने संस्मरण बताते हुये उन्होंने कहा कि बात सन् 1961 की है जब मैं पोदार स्कूल में 10वीं कक्षा का विद्यार्थी था और छात्रसंघ का मुख्यमंत्री था। प.नेहरू को राजस्थान कालेज के छात्रसंघ का उद्घाटन करना था। जब हमें पता चला तो स्कूल के सभी अध्यापक और बच्चे माल्यार्पण के लिये स्कूल के दरवाजे के सामने खडे़ हो गये और उनकी प्रतीक्षा करने लगे। लेकिन जैसे ही पं.नहेरू की जीप आई और आगे बढ़ गई तो देश के भारतमंत्री का स्वागत व माल्र्यापण न कर पाने से सब बच्चे निराश हो गये। लेकिन जब नेहरू जी को पता चला कि बच्चे माल्र्यापण के लिये खड़े है तो वे लौटकर वापस आये। वो पल हमारे लिये चमत्कारिक और भावुक था। पं. नेहरू दिल्ली से जयपुर राजस्थान कालेज के छात्रसंघ के उद्घाटन के लिये आये ऐसा करने वाले शायद वे एकमात्र प्रधानमंत्री होंगे जो छात्रसंघ के उद्घाटन के लिये आये हों। ये घटना दर्शाती है कि उन्हें बच्चों और युवाओं से कितना प्रेम था और बच्चों और युवाओं के प्रति वे कितने संवेदनशील थे। बच्चों से प्रेम एवं अपनत्व की भावना के कारण ही बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे। पं. नेहरू का मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य है और बच्चों की उन्नति में ही देश की उन्नति है। पं. नेहरू ने ही बाल वीरता पुरस्कार प्रदान करने की परम्परा प्रारंभ की ताकि बच्चों में देशप्रेम की भावना विकसित हो।

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