जयपुर, 17 मार्च 2022: कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग से कृषि उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है और इससे किसानों की कई समस्याओं को हल किया जा सकता है, कृषि एवं किसान कल्याण के लिए माननीय राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा। फिक्की द्वारा धानुका के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम ‘जागो किसान जागो’ के दौरान बात करते हुए श्री कैलाश चौधरी ने कहा, ‘‘कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपनाना और किसानों को इनके बारे में जागरुक बनाना बहुत ज़रूरी है। ड्रोन तकनीक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, इसका उपयोग कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किया जा सकता है, साथ ही इस तकनीक की मदद से सैटेलाईट चित्र लेकर यह पता लगाया जा सकता है कि किसान को कितनी मात्रा में उर्वरक की ज़रूरत है और फसलों को कौन से पोषक तत्व देने चाहिए। 5-6 कंपनियां 2-2 ज़िलों में इस पर पायलट परियोजना पर काम रही हैं, जिसके परिणाम जल्द ही सामने आ जाएंगे। इन परिणामों के आधार पर यह फैसला लिया जा सकता है कि फसल को कितनी मात्रा में पानी, कीटनाशक की ज़रूरत है। जो फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’
‘इस संदर्भ में हम कृषि रसायनों सहित विभिन्न उत्पादों की ट्रेसेबिलिटी बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। सीड ट्रेसेबिलिटी कोड बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसकी मदद से किसान अपने मोबाइल पर जांच सकते हैं कि कंपनी या आईसीएआर से आए बीज असली हैं या नहीं। इसी तरह का ट्रेसेबिलिटी कोड कीटनाशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे नकली उत्पादों की समस्या को 70-80 फीसदी तक हल किया जा सकता है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।’ श्री चौधरी ने कहा।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि युवाओं को कृषि एवं संबंद्ध विज्ञान के क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। ‘‘आज कई स्टार्ट-अप्स इस दिशा में आधुनिक तकनीकें ला रहे हैं, हमें उम्मीद है कि ज़्यादा से ज़्यादा युवा कृषि एवं कृषि गतिविधियों को अपनाएंगे।’ श्री चौधरी ने कहा।
कार्यक्रम के दौरान श्री अर्जुन राम मेघवाल, संसदीय मामलों एवं संस्कृति के लिए माननीय राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘भारत में इस दृष्टि से बड़ा अंतराल है। तकरीबन 60-65 फीसदी लोग कृषि गतिविधियों में सक्रिय हैं, लेकिन जीडीपी में इसका योगदान मात्र 16-17 फीसदी है। इस समस्या को हल कैसे किया जाए? हमें यह पता लगाना होगा कि कितनी संख्या में लोग या परिवार पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं तो 2-3 माह के लिए खेती का काम करते हैं और शेष समय के दौरान कोई अन्य काम करते हैं। कृषि में महिलाओं की प्रतिशतता क्या है; शेयर क्रॉपर्स का अनुपात क्या है, ज़मीन रहित किसान कितने हैं; कितने किसान ऐसे हैं जिनके पास ज़मीन नहीं है, किंतु वे खेती करते हैं। यह सभी अध्ययन के विषय हैं। तभी वास्तविक समस्या को समझ कर इसका सही समाधान निकाला जा सकता है।’
‘कई बार, हम पॉलिसी बनाते हैं- लेकिन यह मददगार साबित नहीं होती। सही आंकड़ों के द्वारा ही समस्या का समाधान संभव है।’ श्री मेघवाल ने कहा।
श्री आर. जी. अग्रवाल, चेयरमैन, धानुका ग्रुप एवं चेयरमैन, फसल सुरक्षा समिति, फिक्की ने कहा, ‘‘धानुका में हम हमेशा से किसानों को सशक्त बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहे हैं। टेक्नोलॉजी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, हम ड्रोन एवं अन्य आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं। दुर्भाग्य से भारत के कृषि इनपुट बाज़ार में कम गुणवत्ता के और नकली उत्पाद मिलते हैं। किसानों के हितों को देखते हुए यह ज़रूरी हो जाता है कि हम नकली उत्पादों की समस्या को जल्द से जल्द हल करें ताकि सरकार द्वारा ‘किसानों की आय दोगुना’ करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। ‘जागो किसान जागो’ इसी दिशा में एक पहल है। आने वाले समय में भी हम किसानों को नकली उत्पादों के बारे जागरुक बनाने के लिए और इन समस्याओं के समाधान के लिए जागरुकता अभियानों का आयोजन करते रहेंगे।’
‘इन समस्याओं को हल करने का सबसे प्रभावी तरीका यह कि किसान हर बार किसी भी प्रोडक्ट की खरीद पर बिल की मांग करे, फिर चाहे वह उर्वरक हो या कीटनाशक। इससे बाज़ार में उपलब्ध कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है और किसानों, उपभोक्ताओं एवं उद्योग जगत सभी को लाभान्वित किया जा सकता है। गुणवत्तापूर्ण प्रोडक्ट्स के उपयोग से देश से कृषि उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।’ श्री अगवाल ने कहा।
‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ के मौके पर ‘जागो किसान जागो’ का आयोजन फिक्की द्वारा धानुका ग्रुप के सहयोग से किया गया। प्रोग्राम को सीएनआरआई का समर्थन प्राप्त था।
कई जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, किसानों और उद्योग जगत के सदस्यों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान सभा को सम्बोधित करते हुए डॉ राजीव शर्मा, चेयरमैन, दिल्ली रीजनल ब्रान्च, आईआईपीए ने कहा, ‘‘हमने ऑटोमोबाइल सेक्टर में प्रोडक्ट रीकॉल प्रेक्टिसेज़ अपनाई हैं। इनका अनुकरण हमें कृषि रसायन और कृषि इनपुट में भी करना होगा। इस क्षेत्र में भी रीकॉल के लिए नीति बनानी होगी। इससे किसानों को नकली एवं कम गुणवत्ता के उत्पादों की खरीद से सुरक्षित रखा जा सकेगा। इस तरह की प्रथाओं से कृषि प्रणाली में हितधारकों का भरोसा बढ़ेगा।’
इस मौके पर श्री बिनोद आनंद, महासचिव, सीएनआरआई ने दो मुख्य पहलुओं पर रोशनी डाली- एक नकली उत्पाद बनाने वाले निर्माताओं के खिलाफ़ कार्रवाई और दूसरा कीटनाशकों पर ज़्यादा जीएसटी, जो उर्वरक पर 18 फीसदी है जबकि अन्य कृषि उत्पादों पर 5 फीसदी से भी कम जीएसटी लगाया जाता है।
‘नकली उत्पाद बनाने वाले निर्माताओं और कारोबारियों पर छापेमारी भी की गई है- हाल ही में दिल्ली के बाहरी इलाके में शाहबाद डेयरी के नज़दीक एक परिसर में इसी तरह की एक छापेमारी की गई। किंतु लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले और किसानों को धोखा देने वाले इन लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। इन्हें सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए।’ श्री बिनोद ने कहा।
‘हमें जीएसटी सिस्टम की खामियों पर भी ध्यान देना होगा। कृषि रसायनों पर 18 फीसदी जीएसटी बहुत अधिक है और इसे कम कर उर्वरकों के समकक्ष यानि 5 फीसदी तक करना चाहिए।’ श्री बिनोद ने कहा।