जयपुर, दिसंबर, 2022- अगमी पुरस्कार न्याय की सेवा में समर्पित इनोवेटिव आइडियाज़ का सम्मान है। ऐसे आइडियाज़ को उद्यमी समर्थन देते हैं ताकि अधिक से अधिक लोग न्याय के आंदोलन में भाग ले कर इसका मार्ग प्रशस्त करें। एक ऐसा ही प्रयास ‘जवाबदेही आंदोलन’ है जो राजस्थान राज्य जवाबदेही विधेयक पारित कराने के लक्ष्य से लोगों के सामूहिक प्रयास ‘एसआर अभियान सूचना’ से समर्थन प्राप्त है और अगमी पुरस्कार 2022 के तहत प्रतिष्ठित शमनाद बशीर पुरस्कार 2022 से सम्मानित है।
30 लाख से अधिक का यह पुरस्कार न्याय एवं कानून व्यवस्था के इनोवेटरों, उद्यमियों और चेंजमेकरों का मजबूत नेटवर्क बनाने के लिए प्रसिद्ध है। यह उनके काम को पहचान देने वाला और संसाधन और समर्थन भी सुलभ कराने वाला सक्रिय मंच है।
अगमी पुरस्कार के तीसरे आयोजन में समर्पित टीम ने 648 नामांकनों की समीक्षा की और गहन शोध और साक्षात्कार के बाद 50 को शॉर्टलिस्ट किया। संस्थापकों/टीम के सदस्यों के साथ साक्षात्कार के एक अन्य दौर और क्षेत्र के दौरे के बाद 14 फाइनलिस्ट चुने गए। ये 14 फाइनलिस्ट पूरे भारत के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक ग्रैंड जूरी के सामने प्रस्तुत किए गए। ज्यूरी ने कई दौर के विश्लेषण और साक्षात्कार के बाद इस साल के अगमी पुरस्कार 2022 के लिए विजेताओं के नाम प्रस्तुत किए।
ग्रैंड जूरी के सदस्य में अरुण मायरा – पूर्व सदस्य, योजना आयोग, भारत, विद्या शाह – कार्यकारी अध्यक्ष, एडलगिव फाउंडेशन, न्यायमूर्ति गीता मित्तल – पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय, कैलाश नाद – सह-संस्थापक, सीटीओ, ज़ेरोधा, ओसामा मंजर – संस्थापक, डिजिटल एम्पावरमेंट फाउंडेशन आदि शामिल रहे ।
अगमी के सह-संस्थापक, सचिन मल्हान ने अगमी पुरस्कार के बारे में बताया, “अगमी पुरस्कार अधिक सुलभ, समावेशी और प्रभावी न्याय सुनिश्चित करने वाले तथा न्याय एवं कानून व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से निपटने वाले आइडियाज़ का सम्मान है। हम अगमी पुरस्कार 2022 के सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को उनके इनोवेटिव आइडियाज़ के लिए बधाई देते और सराहना करते हैं। उनके आइडियाज़ भारत में कानून और न्याय प्रणाली को सक्षम बनाएंगे। विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि का निश्चित रूप से महत्व है पर अधिक महत्वपूर्ण यह है कि उन्हें इन्फ्लुएंसरों, मेंटरों से संपर्क करने और उच्च स्तर पर सहयोग करने तथा क्षेत्र स्तर पर और नीतिगत बदलाव करने के अवसर मिलेंगे और यह सब व्यक्तिगत रूप से प्राप्त करना आसान नहीं होता है। हमें विश्वास है कि ये इनोवेटर और चेंजमेकर भारत के न्याय और कानून व्यवस्था में आमूल परिवर्तन कर उसे नया रूप देंगे और बेहतर बनाएंगे ताकि न्याय सभी के लिए सुलभ हो जाए।’’
भारत के योजना आयोग के पूर्व सदस्य और बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (भारत) के पूर्व अध्यक्ष अरुण मायरा ने प्रतिभागियों से अपेक्षित आइडियाज़ के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘आज हम डिज़ाइन में इनोवेशन चाहते हैं जो बिक्री किए जा रहे प्रोडक्ट या सेवाओं में ही नहीं पूरे सिस्टम के डिज़ाइन में हो, जिसका हम सभी लाभ ले रहे हैं। हम ऐसे लोगों को ‘लाभार्थी’ कहते हैं लेकिन कितना अच्छा होगा यदि वे स्वयं इस परिवर्तन के प्रेरक बल बनें। यह संसाधन निःशुल्क है – और यह हमारे पास उपलब्ध है – हमारी अपनी ऊर्जा और परिवर्तन लाने का जुनून।’’
यह एक द्विवार्षिक पुरस्कार है जिसकी परिकल्पना और पहली बार आयोजन 2018 में किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे आइडियाज़ को 2 कैटेगरी – शमनाद बशीर पुरस्कार और आइडिया पुरस्कार के तहत समर्थन और प्रोत्साहन देना है।
शमनाद बशीर पुरस्कार न्याय और कानून व्यवस्था में इनोवेटिव बदलाव की दो पहलों का सम्मान करता है। अगमी पुरस्कार 2022 के तहत शमनाद बशीर पुरस्कार ‘जवाबदेही आंदोलन’ को दिया गया है। यह लोगों के सामूहिक एसआर अभियान सूचना और इंडस एक्शन के समर्थन से काम करता है। इसका गठन तरुण चेरुकुरी ने किया। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के साथ इस आंदोलन के कार्यों को बढ़ाते हुए जवाबदेही आंदोलन राजस्थान राज्य में एक नए कानून की मांग करते हुए राज्य की जवाबदेही तय करने पर जोर देता है। इस कानून की मांग के परिणामस्वरूप सरकार ने अक्टूबर 2022 में सार्वजनिक विचार आमंत्रित करते हुए कानून का ड्रॉफ्ट प्रकाशित किया। इंडस एक्शन का बुनियादी आइडिया यह समझना है कि क्या राज्य की योजनाओं की संख्या और नागरिकों के लिए संतोषजनक पूरी तरह से लागू योजनाओं के बीच असंतुलन है। इंडस एक्शन कथित योजनाओं और योग्यताओं के बारे में जो सामूहिक रूपरेखा और समझ विकसित की गई उसके स्वरूप में जरूरी बदलाव का दुस्साहसिक लक्ष्य रखता है। यह 12 राज्यों में कार्य करते हुए योजनाओं और अधिकारों का लाभ देने के लिए जरूरी राज्य की क्षमता का विकास करता है और साथ ही, सीएसओ एवं नागरिकों की क्षमता का विकास कर उन्हें चेंजमेकर और लीडर बनने का अवसर दे रहा है।
भारत के नागरिक अपने मूल अधिकारों और विशेष सुविधाओं के बारे में पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। उन्हें पता नहीं है कि वे किन योजनाओं और लाभों के हकदार हैं; कैसे कोई दावा करें और फिर उन्हें अधिकार पाने के लिए कई बाधाओं को बार-बार पार करना पड़ता है। ‘जवाबदेही आंदोलन’ की शुरुआत ही कुछ पूछने के साथ हुई जैसे: सरकार पर खुद के काम की कोई जवाबदेही क्यों नहीं है? राज्य सरकार और उसके पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने की कोई तरीका क्यों नहीं है? और अब हम कैसे उनसे जनादेश लागू करवाएं – उनका काम करवाएं? इस तरह राजस्थान राज्य में जवाबदेही आंदोलन शुरू हुआ। जवाबदेही आंदोलन की मांग के परिणामस्वरूप राजस्थान सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री जवाबदेही कानून पारित करने को प्रतिबद्ध हुए। अक्टूबर 2022 में सरकार ने इस कानून का ड्राफ्ट तैयार कर सार्वजनिक किया ताकि लोग अपने विचार दें। यह ‘आंदोलन’ नागरिकों से संपर्क कर रहा है ताकि लोग सोच-समझ कर प्रतिक्रिया दें जो एक मजबूत और प्रभावी जवाबदेही कानून पारित और लागू करने के लिए ज़रूरी है। आंदोलन का मकसद केवल इसे पारित होने तक दबाव बनाए रखना नहीं है बल्कि प्रभावी ढंग से लागू हो यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करना है।