“साम्प्रदायिकता के विरुद्ध साहित्य” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में पीयूसीएल जयपुर ने लिया हिस्सा

जयपुर । पूर्व प्रधानमन्त्री पं जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथी पर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर और अजमेर के प्रबुद्ध मंच के संयुक्त तत्वावधान में विजयसिंह पथिक श्रमजीवी महाविद्यालय अजमेर में शनिवार व रविवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी के संयोजक व पीयूसीएल के सचिव डॉ अनंत भटनागर ने बताया कि “सम्प्रदायिकता के विरूद्घ साहित्यिक परम्परा” विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में दिल्ली से आये प्रसिद्ध वक्ता शायर और वैज्ञानिक मुख्य अतिथि गौहर रज़ा, मुख्य वक्ता प्रियदर्शन ने सांप्रदायिकता के वर्तमान स्वरूप पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए इसकी चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध मानवधिकार कर्मनेत्री और पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने की। इस मौके पर विभिन्न राज्यो से आये सहित्यकारो व प्रबुद्धजनो ने अपने विचार व्यक्त किये। वही जयपुर से मानवधिकार कर्मनेत्री कविता श्रीवास्तव के नेतृत्व में पीयूसीएल की सदस्य रीमा गोधा (स्वतंत्र पत्रकार) व पीयूसीएल में इंटर्नशिप कर रहे बीए एलएलबी के 15 स्टूडेंट्स ने भी हिस्सा लिया। डॉ भटनागर ने बताया कि “सांप्रदायिकता विरोध की साहित्यिक परम्परा” विषयक पहले सत्र में अपना मंतव्य प्रस्तुत करते हुए वक्ताओं के रूप में कवि-शायर सलीम खां फरीद राजस्थान, कहानीकार मनोज कुमार पाण्डेय, इलाहाबाद और दिल्ली से आये विमलेंद्र तीर्थंकर ने अर्थवान भागीदारी कर सत्र को समृद्ध बनाया। सत्र का प्रभावी संचालन दौसा के महुआ कालेज में हिंदी प्रोफेसर डा विष्णु कुमार शर्मा ने किया। दूसरे सत्र “विभाजन का दंश और सांप्रदायिकता” की अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार और आलोचक डॉ सूरज पालीवाल ने की। इसमें कवि विजय राही ने इस विषय पर पत्रवाचन किया तथा कवि आलोचक शैलेन्द्र चौहान, कथालोचक और बनास जन पत्रिका के संपादक डॉ पल्लव तथा हिन्दी और सिंधी के कवि हरीश करमचंदानी ने अपने वक्तव्यों से सत्र को समृद्धि प्रदान की। इस सत्र का संचालन जिला शिक्षा अधिकारी और साहित्यकार कालिंदीनंदिनी शर्मा ने किया।

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