प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की भेंट, विकास योजनाओं पर की चर्चा

श्री अशोक गहलोत ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकत कर राजस्थान में रिफाईनरी की स्थापना करवाने और राज्य सरकार द्वारा हाथ में ली गई महत्वाकांक्षी-ऊर्जा परियोजनाओं से समय पर बिजली का उत्पादन शुरू करने के लिए दीर्घकालीन कोल लिंकेज, कोयला तथा गैस आवंटन करवाने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। साथ ही प्रदेश की विभिन्न विकास योजनाओं के बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जयपुर आने का निमंत्रण भी दिया और प्रदेश की विकास योजनाओं का अवलोकन करने का आग्रह किया।
श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री को बताया कि देश में राजस्थान ही केवल ऐसा राज्य है, जहां घरेलू तेल उत्पादन होने के बावजूद अभी तक रिफाईनरी की स्थापना नही हुई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में रिफाईनरी की स्थापना से आर्थिक रूप से पिछड़े पश्चिम राजस्थान में विकास की गति और अधिक तेज होगी तथा रिफाईनरी की घोषणा को राजस्थान के इतिहास में हमेशा के लिये याद रखा जाएगा। श्री गहलोत ने बताया कि रिफाईनरी की स्थापना के संबंध में वे प्रधानमंत्री से बाड़मेर में तेल के वाणिज्यिक उत्पादन के शुभारंभ अवसर पर भी अनुरोध कर चुके है। इसी प्रकार उन्होंने यू.पी.ए. की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भी उनके जयपुर प्रवास पर इसी प्रकार का अनुरोध किया है और दिल्ली में हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री डॉ. एम. वीरप्पा मोइली से भी इस बारे में चर्चा की है। उन्होंने कहा कि देश में कुल क्रूड तेल उत्पादन का पांचवां हिस्सा राजस्थान में उत्पादित हो रहा है, इसलिये राज्य में रिफाईनरी स्थापना औचित्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य में मिले कच्चे तेल के अथाह भंडारों का राज्य को पूरा लाभ मिल सके और पिछड़े क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके इसके लिये राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त केन्द्रीय पेट्रोलियम सचिव श्री एस.सी. त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने अप्रेल, 2010 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बाड़मेर में प्रथम चरण में 4.5 से 6.0 मिलियन टन वार्षिक क्षमता की रिफाईनरी स्थापित करने की संभावना व्यत की थी, लेकिन अब एचपीसीएल के ओएनजीसी के साथ रिफाईनरी परियोजना में जुड़ने से रिफाईनरी की क्षमता 9 मिलियन टन वार्षिक पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेस की हो गई है। समिति ने बाड़मेर में रिफाईनरी स्थापित करने के लिये कुछ और भी अनुशंसा की थी कि किस प्रकार रिफाईनरी के प्रमोटरों को समर्थन देकर प्रदेश में रिफाईनरी स्थापित की जा सकती है। श्री गहलोत ने बताया कि राज्य सरकार ने त्रिपाठी कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर राज्य में तेल रिफाईनरी की स्थापना की दिशा में कदम आगे बढ़ाये है।

श्री गहलोत ने बताया कि त्रिपाठी समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि राजस्थान के रेगिस्तानी जिले विकास की दृष्टि से अत्यन्त पिछड़े हुए है इसलिये बाड़मेर रिफाइनरी को उत्पाद शुल्क म 5 वर्ष तक के लिये 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाये। इससे औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से वित्त मंत्री से भी अनुरोध किया गया है। साथ ही पेट्रोलियम मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वे एचपीसीएल को राजस्थान रिफाईनरी एवं पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेस परियोजना को शीघ्र अन्तिम रूप देने का आग्रह करें।
उन्होंने बताया कि त्रिपाठी समिति की सिफारिशों को मानते हुए राज्य सरकार ने ओ.एन.जी.सी को गुणात्मक वित्तीय रियायतों हेतु सूचित कर दिया है, जो कि रिफाईनरी के आरंभ होने से आगामी 15 वर्षां के लिये लगभग 2000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष होगी। इसमें रिफाईनरी उत्पादन पर प्रदत्त छूट भी सम्मिलित है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने एस.पी.वी. के माध्यम से रिफाईनरी की स्थापना के लिये लगभग 3200 एकड़ भूमि अवाप्त करने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी है।
मुख्यमंत्री ने उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थापित की गई रिफाईनरियों को उत्पाद शुल्क में दी जा रही विशेष छूट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री से राजस्थान की भौगोलिक एवं विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान को भी उत्पाद शुल्क में इसी प्रकार की छूट दिलाने का आग्रह किया है।
श्री गहलोत ने राज्य की ऊर्जा स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार ने 7750 मेगावाट के सुपर क्रिटिकल टेनोलाजी पर आधारित पांच कोल पॉवर प्रोजेटस एवं तीन प्रोजेट प्रति 330 मेगावाट गैस आधारित मंजूर किये गये है , लेकिन राज्य में कोयला एवं गैस की पर्याप्त उपलधता नही होने के कारण इन ऊर्जा परियोजनाओं का कार्य आगे बढ़ाने मे दिकतें आ रही हैं। उन्होंने बताया कि जब तक कोयला एवं गैस की कमी को दूर नही किया जाता तब तक इन ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली उत्पादन के लक्ष्यों को 12 वी परियोजना में पूर्ण करना आसान नही होगा।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में बिजली की मांग की तुलना में 12 प्रतिशत की कमी है और बिजली की दिन प्रतिदिन बढ़ती मांग को देखते हुए बिजली उत्पादन के लक्ष्य को समय पर पूरा करना देश एवं प्रदेश के हित में है। श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री से प्रदेश की ऊर्जा परियोजनाओं से समय पर बिजली का उत्पादन शुरू करने के लिए संबंधित मंत्रालयों से दीर्घ कालीन कोल लिंकेज और कोयला तथा गैस आवंटन करवाने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
अपने दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ ही यू.पी.ए. चैयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी और कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर प्रदेश की विभिन्न विकास योजनाओं और ज्वलंत मुद्दों पर उनसे चर्चा एवं विचार विमर्श किया तथा प्रदेश के विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र से मदद दिलवाने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री की केंद्रीय कोयला मंत्री से भेंट

इससे पूर्व श्री गहलोत ने केंद्रीय कोयला मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल से भी उनके सरकारी आवास पर भेंट की और उनसे राजस्थान की बिजली परियोजनाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला दिलवाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयले की कमी के कारण बिजली घरों में विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने में किसी प्रकार की देरी नही होवे। इस लिहाज से प्रदेश को पर्याप्त कोयला मिलना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने अपने पिछले शासन काल में भी 1750 मेगावाट अतिरित बिजली का उत्पादन कर देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया था और इस बार भी हमने नई तकनीक से बनने वाले पांच सुपर क्रिटिकल बिजली घरों का काम हाथ में लिया है।
श्री गहलोत ने कहा कि आज ‘विद्युत उत्पादन’ देश के ‘विकास की धुरी’ बन गया है। अतः हम सभी को विद्युत उत्पादन की दृष्टि से निर्धारित लक्ष्यों को समय पर पूरा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, अन्यथा देश और प्रदेश को ही इसका नुकसान होगा। उन्होंने कोयले को लेकर देश भर में बनाये जा रहे वातावरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए देश के विकास में सभी से सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया।
भेंट के बाद केंद्रीय कोयला मंत्री श्री जायसवाल ने बताया कि राजस्थान की वाजिब मांग को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश को समुचित मात्रा में कोयला आवंटन करवाने की हर संभव कोशिश की जायेगी। उन्होंने बताया कि कोल-लिंकेज कमेटी की बैठक से भी राजस्थान को अतिरित कोयला मिलने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि आयातीत कोयला के संबंध में केंद्र स्तर पर नीतिगत फैसला हो जाने के बाद राज्यों को कोयला उपलध हो सकेगा।
श्री जायसवाल ने आशा व्यत की कि राजस्थान जैसे प्रदेश जहां बिजली परियोजनाओं के कार्य चल रहे हैं उन्हें समुचित मात्रा में कोयला उपलध होगा।

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