महिला उत्पीड़न करने वाले को मिलेगी सख्त सजा

देश में महिला उत्पीड़न, अत्याचार की बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए राजस्थान सरकार ने नया कानून बनाने का निर्णय लिया है। कानून में महिलाओं का अपमान करने, चोट पहुंचाने, डराने-धमकाने या किसी नागरिक स्थान पर आने-जाने से रोकने सहित अन्य अत्याचार अब ऐसा करने वालों पर भारी पड़ सकते है।

राजस्थान मंत्रिमंडल ने राजस्थान महिला अध्यादेश-2013 को अनुमोदित कर दिया है। अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार के अधिसूचना जारी करने के साथ यह अध्यादेश लागू हो जाएगा। अध्यादेश में शामिल अपराधों के लिए उनकी गंभीरता के आधार पर 2 हजार रुपए से 5 लाख रुपए तक का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है। कारावास एवं जुर्माना दोनों ही आवश्यक होंगे। जुर्माने की रकम पीडि़ता को प्रतिकर के रूप में देनी होगी। इसके लिए प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालय स्थापित किए जाएंगे।

अध्यादेश में पीडि़ता को प्रतिकर, अंतरिम राहत एवं पुनस्र्थापन का प्रावधान किया गया है, जिसके लिए एक कोष बनाया जाना प्रस्तावित है। इस अध्यादेश के अंतर्गत किए गए अपराध के लिए किसी भी व्यक्ति को जमानत नहीं दी जा सकेगी। अपराधों के लिए अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 एवं दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 360 लागू नहीं होगी।

वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमण्डल ने प्रदेश की बालिकाओं के सर्वागीण विकास तथा युवा शक्ति की विकास में सहभागिता के उद्देश्य से राजस्थान राज्य बालिका नीति एवं राजस्थान राज्य युवा नीति को भी मंजूरी दी। इससे बालिकाओं को उनकी गरिमा और समाज में उनके महत्व को प्रतिष्ठापित करने की दृष्टि से इस नीति में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पारिवारिक समर्थन, बालिकाओं को हर प्रकार की हिंसा, शोषण और तिरस्कार से सुरक्षा प्रदान करने के लिये दिशा-निर्देशों को शामिल किया गया है।

बालिकाओं के घटते लिंगानुपात को रोकने की दिशा में भी यह नीति कारगर साबित होगी। वहीं युवा नीति में युवाओं को लेकर प्रावधान किए गए है।

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