*हाइकोर्ट के केंटीनों में एकसपायरी फ़ूड सम्बंधित न्यूज प्रकाशित होने पर मानवाधिकार आयोग ने लिया स्व प्रसंज्ञान*

*राज्य के समस्त जिला कलेक्टर्स व स्वास्थ्य अधिकारीयों को अपमिश्रण रोकने तथा प्रवर्तन कार्यवाही करने के दिए निर्देश*
जयपुर (डॉ.मनोज आहूजा ) राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जी आर मूलचंदानी ने मंगलवार को बार कॉन्सिल ऑफ़ राजस्थान के चेयरमेन भुवनेश शर्मा द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर हाइकोर्ट प्रांगण में संचालित केंटीनों में एकसपायरी फ़ूड,फफूँद लगी सामग्री तथा फ़ूड लाइसेंस भी नहीं जैसी खबरों के प्रकाशन को आधार मानते हुए इसे गंभीर मामला मानते हुए स्व प्रसंज्ञान लेते हुए शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उपभोक्ता निदेशालय, आयुक्त खाद्य सुरक्षा सहित राजस्थान के प्रत्येक जिला कलेक्टर व प्रत्येक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश जारी किया है कि वे खाद्य अप मिश्रण को रोकने के लिए समय समय पर प्रवर्तन सम्बंधी कार्यवाही अमल में लाएं तथा फ़ूड लाइसेंस नहीं होने पर नगर निगम सहित स्थानीय निकाय को ऐसे संस्थानों के विरुद्ध समुचित विद्यायी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश जी आर मूलचंदानी ने खाद्य अप मिश्रण को गंभीरता से लेते हुए अपने आदेश में लिखा है कि
*खाद्य पदार्थों में किये जा रहे अपमिश्रण व अपदूषित खाद्य सामग्री का होटलों व रेस्टोरेन्ट पर,जनमानस को परोसना,ऐसा अमानवीय पहलू है, जो आरोपीगण द्वारा,प्रभावी कार्यवाही ना होने के कारण व अपमिश्रण प्रवर्तन के अधिकारियों की लापरवाही तथा मानवीय संवेदनाओं के अवमूल्यन तथा हास,इसके मूल कारक है।*
उन्होंने लिखा कि-राजस्थान पत्रिका व जयपुर के अन्य कई समाचार पत्रों में यह समाचार प्रकाशित हुआ है कि, “हाइकोर्ट कैंटीनों में एक्सपायरी फूट, फफूंद लगी सामग्री तथा फूड लाइसेंस भी नहीं” राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा के लिखित पत्र पर कार्यवाही से,हाईकोर्ट प्रांगण में संचालित इस रेस्टोरेन्ट पर फूड लाइसेंस भी नहीं था तथा वहाँ घरेलू सिलेंडर भी काम में लिया जा रहा था। इस समाचार में यह भी अंकित है कि, जगतपुरा के पास स्थित “मोमोज हब” के फिज में भरा था एक्सपायरी फूड तथा “गोल्ड कैंटीन” में सड़े आलू-प्याज,कृत्रिम रंग,गंदे बर्तन, काला फर्श व दीवारें,गंदे स्टोव एवं ओल्ड साहू की दुकान पर कोरोना काल की नमकीन मिली,एक्सपायरी चॉकलेट सीरप,गोभी,सड़ी हरी मिर्च, गेंदे पात्र में चाय बनती मिली।
ये समाचार,शहर के विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक होटलों व रेस्टोरेन्टों में परोसी जा रही अमानक व शरीर को नुकसान पहुँचाने वाली खाद्य सामग्री को उजागर करता है।
सम्मानित अधिवक्ता समाज कठिन परिश्रम करके,न्यायालयों में कार्य करते समय,अथक भागदौड़ करके, दो मिनट सुस्ताने के लिये,चाय या कुछ खाद्य पदार्थ लेकर,उनका सेवन करता है,वे भी उन्हें सुरक्षित नहीं मिलते, स्पष्ट है कि ये हमारे अधिवक्तावर्ग जो समाज के जिम्मेदार नागरिक है,के स्वास्थ्य से किये जा रहे,खिलवाड़ को भी उजागर करता है जो भर्त्सना योग्य है।
कई अवसरों पर खाद्य अपमिश्रण विभाग व प्रशासन को,आयोग द्वारा इस संबंध में कई अन्य सादृश्य प्रकरणों की सुनवाई के दौरान,कई आदेश व निर्देश दिये गये हैं।खाद्य प्रवर्तन विभाग त्योहारों के दौरान अपनी कार्यवाही प्रभावी रूप से करता है परन्तु आम दिनों में प्रवर्तन संबंधी कार्यवाही में शिथिलता के चलते,अपमिश्रित खाद्य पदार्थ जनस्वास्थ्य को भारी कष्ट व दुविधा देते हैं।कई खाद्य पदार्थ अजीनोमोटो एवं प्रतिबंधित सॉस व रंग,जैसे घातक रसायन का मिश्रण रखते हैं,जो मनुष्य को कैंसर नामक बीमारी करके उसकी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने का कारण रखते हैं।खाद्य अपमिश्रण एक गम्भीर समस्या है।न्यायाधीपति मूलचंदानी ने सरकार सहित अधिकारीयों को निर्देश देते हुए लिखा है कि जनमानस को अपमिश्रित खाद्य सामग्री बेचने वाले स्वार्थी तत्वों से, जनमानस का बचाव करके,उन्हें मानक खाद्य सामग्री उपलब्ध
कराना सुनिश्चित करें तथा इस संबंध में प्रत्येक विभाग के प्राधिकारी, अपनी विस्तृत रिपोर्ट अविलंब, आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।इसके साथ ही उन्होंने
राज्य सरकार से यह अपेक्षा की है कि वे 3 सितम्बर, 2024 के समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार मिलावट पर रोक संबंधी बिन्दु “एक कानून केन्द्र में अटका,दूसरे के लिए राज्य में नियम नहीं”, के विषय में भी विधिसम्मत विचार करके,प्रभावी विधायी नियम व लोकहितकारी प्रावधानों को जल्द प्रवर्तन में लाये।तथा उक्त आदेश की पालना रिपोर्ट 30 सितम्बर तक पेश करने के निर्देश भी जारी किये हैं।

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