पिछले दो शिविरों के संकल्प अधूरे

आगामी लोकसभा, विधान सभा चुनाव और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर जयपुर में कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाध्ाी, महासचिव राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित 300 से अधिक दिग्गज पिछले दो दिन से जयपुर में चिंतन कर रहे है। लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी ने पंचमढ़ी और शिमला के चिंतन शिविरों में जो संकल्प लिए थे, वे अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। जरूरत इस बात की है कि पहले पिछले दो चिंतन शिविरो के संकल्पों लिए ठोस नीति बने। जयपुर में हो रहे चिंतन शिविर में कांग्रेस अपने भविष्य के कार्यक्रम तय करेगी लेकिन पिछले चिंतन शिविरों के संकल्प अभी अधूरे हैं। प्रस्तुत है पिछले दो चिंतन शिविरों का सच:-

वर्ष 1998 का पंचमढ़ी चिंतन शिविर

संकल्प 1: चुनावों में धन-बल का प्रभाव रोकने के लिए पार्टी कदम उठाएगी। चुनाव सुधार लागू किए जाएंगे।

संकल्प 2: जिन राज्यों में पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमजोर है, वहां विशेष ध्यान दिया जाएगा।

अब संकल्प 1 की यह है स्थिति: चुनाव आयोग के सुझाव कानून मंत्रालय के पास अटके रहे। यूपीए-1 में इसकी सुध नहीं ली गई। यूपीए-2 में पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने चुनाव आयोग के साथ मिल सात क्षेत्रीय सम्मेलन किए। अंतिम बैठक राष्ट्रीय दलों के साथ होनी थी लेकिन ये अभी तक नहीं हो पाई। दो कानून मंत्री बदल गए लेकिन चुनाव सुधार अटके हुए हैं।

अब यह है संकल्प 2 की स्थिति: उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात में कमजोरी का अहसास पार्टी को है, लेकिन ताकत बढ़ाने के क्या प्रयास हुए ये इन राज्यों के चुनाव नतीजों से जाहिर है।

वर्ष 2003 शिमला चिंतन शिविर

संकल्प: पार्टी विचारधारा को आम आदमी की ओर मोड़ा जाएगा। देश में गरीबी को खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी।

अब यह है स्थिति: संकल्प को 10 साल बीत चुके हैं। जयपुर चिंतन शिविर तक तो ये लागू नहीं हो पाया। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने भले ही प्राथमिकता के आधार पर खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अपनी सिफारिशें सरकार को दीं लेकिन अब तक यह कानून की शक्ल नहीं ले पाया है। लोकसभा में विधेयक पेश करने के बाद इसे संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है। सरकार की कोशिश इसे बजट सत्र में पारित कराने की होगी। जिस तरह मनरेगा और आरटीआई को यूपीए-2 की सरकार बनाने का श्रेय जाता है वैसे ही माना जा रहा है कि यूपीए-3 के लिए खाद्य सुरक्षा विधेयक की अहम भूमिका होगी।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के कई बुजुर्ग नेताओं ने आज पिछले दो चिंतन शिविरों के निर्णयों की पूरी तरह से पालना नहीं होने का मुद्दा उठाया,तो उन्हें आश्वासन दिया गया कि अब ऐसा नहीं होगा। जयपुर चिंतन शिविर के निर्णयों के क्रियान्वयन पर खुद कांग्रेस अध्यक्ष निगरानी करेंगी।

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