अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आहत ना हो: राज्यपाल

जयपुर । मुस्लिम संगठनों एवं भाजपा युवा मोर्चा के विरोध के बीच जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल आज से शुरू हुआ। विरोध के स्वरों के बीच उद्घाटन समारोह में राजस्थान की राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने साहित्य उत्सव में देश के विभिन्न अंचलों और दूसरे देशों से आये साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों का आह्वान किया है कि वे मंथन करें कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भावनाओं को आहत न होने के बीच किस प्रकार से संतुलन कायम किया जाए। उन्होंने कहा कि यह उत्सव अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का सुनहरा मौका है।

आल्वा ने कहा कि वर्तमान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल है कि युवा वर्ग परिवर्तन चाहता है। यहां आए सभी चिंतक वर्तमान की चुनौतियों और सुदृढ़ भविष्य के लिए किये जाने वाले कार्यो पर गहन चिंतन-मनन करें। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पाकिस्तानी साहित्यकारों को लेकर लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिक का सिर काटे जाने को लेकर पूरे देश में गुस्सा है, देश को लेकर सभी एकजुट है, लेकिन साहित्य के इस महाकुंभ में आने वाले पाकिस्तानी साहित्यकारों का विरोध ठीक नहीं है।

पाकिस्तान के बारे में गुस्सा है, लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कला, साहित्य से विरोध को जोड़ना गलत है। लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने आए ब्रिटिश उपन्यासकार और लोकप्रिय इतिहासकार टॉम हॉलैंड मानना है कि किसी भी दो देशों के बीच चलने वाले विवाद या युद्ध का असर कला और कलाकारों पर नहीं पड़ना चाहिए। इंडिया में पाकिस्तान के कलाकारों, साहित्यकारों या खिलाडि़यों पर प्रतिबंध लगाना और उनके आने पर विरोध करना मुझे गलत लगता है।

सीमा की लड़ाई सीमा तक ही सीमित रहे और लोगों के मन में किसी भी देश के कलाकारों को लेकर मन में गलत भाव नहीं आए तो ही कला जगत और देश की शांति के लिए अच्छा होगा। वहीं फेस्टिवल में शामिल होने आए तरुण तेजपाल ने भी इंडिया में पाकिस्तानी कलाकार और साहित्यकारों को लेकर उठने वाले विरोध को गलत माना है। उनका कहना है कि लिटरेचर फेस्टिवल में पिछले बार भी कुछ लेखकों को लेकर बहुत विवाद हुआ था। किसी भी साहित्यकार की रचना उसका खुद का मत या सोच को प्रकट करता है। यहां तक लिटरेचर फेस्टिवल में आने वाले साहित्यकारों की बात है तो यहां सभी देशों के लेखकों को मिलकर, जमकर बातें करनी है। बातों के जरिए ही बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकल सकता है।

मुस्लिम संगठनों ने कहा कि सलमान रुश्दी, नसरीन के साहित्य का विरोध करेंगे

-भाजपा युवा मोर्चा भी सक्रिय

लिटरेचर फेस्टिवल पर इस बार भी मुस्लिम संगठन पैनी नजर रखे हुए है। उन्होंने स्पष्ट किया है फेस्टिवल का स्वागत है, लेकिन इसमें कोई भी इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद विरोधी गतिविधि दिखाई दी तो वे चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि सलमान रुश्दी और तसलीमा नसरीन का आना ही नहीं, बल्कि उनके लिटरेचर को यहां पढ़ा भी गया तो वे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

मुस्लिम संगठनों की संस्था अजमते रसूल फाउंडेशन के महासचिव साजिद सहराई ने पत्रकारों से कहा कि पिछली बार रुश्दी को नहीं आने दिया गया, लेकिन विरोध के बावजूद चार लेखकों ने रूश्दी की पुस्तक सेटेनिक वर्सेज के अंश पढ़ डाले। उनमें से जीत तायल फिर इस फेस्टिवल में आ रहे है। उन्होंने बताया कि तायल के खिलाफ पिटीशन दायर हैं, कानून अपना काम करेगा, उन्हें भी तायल के जयपुर आने पर कोई आपत्तिनहीं, लेकिन तायल ने फिर से रुश्दी का लिटरेचर पढ़ने की कोशिश की तो वे इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। इधर भाजपा युवा मोर्चा ने आज फिर कहा कि फेस्टिवल में पाकिस्तानी लेखकों का विरोध किया जाएगा।

भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि बंसल का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय शहीद के शव का जिस तरह से अपमान किया है, वह ठीक नहीं है, हम पाकिस्तानी लेखकों का विरोध करेंगे।

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