पुलिस में आना सबसे बड़ी भूल..

caseउदयपुर। मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी भूल थी कि मैं पुलिस में आई, विश्वास नहीं होता कि मेरे साथियों ने ही मेरे घर को उजाड़ दिया। मेरी बेटी का दर्द मुझसे सहा नहीं जाता, आप उसे बचा लों। मैं गणित का अध्यापक हूं, लेकिन मेरी जीवन की गणित बिगड़ गई। मेरा सब कुछ खत्म हो चुका हमारे जीवन का क्या होगा।

यह कहना है उस दुष्कर्म पीड़िता नाबालिक बेटी के मां-बाप का,जो बाल कल्याण समिति न्याय पीठ के सदस्यों के समक्ष थाने में अपनी पीड़ा बताते हुए विलख पड़े। समिति सदस्यों व ग्रामीणों ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए उन्हें संभाला।

समिति केस सदस्य जब थाना परिसर में पहुंचे, तो वहां एक बार सभी लोग उनसे मिलने आए। पीड़िता के मां-बाप को आश्वासन देते ही वे हाथ जोड़कर रोने लगे।

दम्पती को जब उन्हें उचित मुआवजा व मदद दिलाने का आश्वासन दिया गया, तो मां बोल उठी की इस जलालत व बेइज्जती को पैसों से नहीं तोला जा सकता है। अब हमारे बच्ची सामान्य हो जाए हमें कुछ नहीं चाहिए। इधर, दुष्कर्म पीड़िता घटना के बाद से सदमें में आ गई। वह गुमसुम होकर कुछ नहीं बोल पा रही है।

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