जयपुर की कच्ची बस्तियों में असंतोष

basti2basti1जयपुर । शहर की मोतीडूंगरी जोन की अम्बेडकर कच्ची बस्ती, झालाना ए/बी, झालानाकुण्डा की कच्ची बस्तियों में रहने वाले अधिकांश दलित व अल्प संख्यक समुदाय के लोगों को एक भी पट्टा नहीं दिया गया है , जबकि यह कॉलोनी 1985 से बसी हुई है।
पार्टिसिपेटरी रिर्सच इन एशिया (प्रिया) जयपुर द्वारा जयपुर शहर की 10 कच्ची बस्तियों में सेवाओं की पहुॅंच ओर विकास कार्यक्रमों मेें जन संसाधनों की उतरदायित्व पूर्ण सदुपयोग करने के वातावरण बनाने के दौरान यह तत्थ उजागर हुआ । प्रशासन शहरों के संग अभियान मे भी इन कच्ची बस्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया। प्रिया द्वारा आयोजित परामर्श कार्यशाला में सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ कच्ची बस्तियों को मिल सके इसकी जानकारी प्रदान की गई । कार्यशाला में कच्ची बस्तियों के निवासियों ने रास्तों मे ंगंदा पानी भरे रहने, नालियों के अभाव , सेनिटेशन की खराब स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया। माचडा कच्ची बस्ती (हरमाडा ) जे डी ए द्वारा पुर्नवासित की गई है , परन्तु वहां पानी तक की सुविधा नहीं होने पर असंतोष प्रकट किया गया । यह भी बताया गया कि इन बस्तियों में सरकारी विद्यालय जनसंख्या के अनुपात में नही है।
परियोजना प्रबन्धक डा. संतोष कुमार कौशल ने बताया कि प्रिया संस्थान ने राज्य के मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित कर आग्रह किया है कि इस ओर तुरन्त ध्यान दिया जाना चाहिए। डा. कौशल ने बताया कि प्रिया द्वारा सरकार द्वारा शहरी गरीबों के लिए चलाई जा रही 25 विभिन्न कल्याणकारी परियोजना की जानकारी का 8 पृष्ठों का फोल्डर कच्ची बस्तियों में जनजागरूकता के लिए वितरित कर रहे हैं।
प्रिया के सलाहकार गोपाल वर्मा एवं कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती अंशु सिंह ने बताया कि बस्तियों के समुदायिक नेता संगठन बनाकर प्रशासन को कार्यवाही के लिए दबाव बनायगें। वर्मा ने सुझाव दिया कि विद्यायक कोटे से भी बस्तियों में काम कराया जा सकता है।

– कल्याण सिंह कोठारी 

मीडिया सलाहकार

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