मानव स्वास्थ्य की कूंजी है मानस में – डॉ. गोपाल शास्त्री

उदयपुर। उदयपुर नगर माहेश्वरी सभा के तत्वावधान में रविवार 29 जुलाई को माहेश्वरी भवन में मानस योग साधना पर आधारित स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक शिविर का आयोजन किया गया। प्रवर्तन सत्र को संबोधित करते हुए मेरठ के विख्यात मानस योगविद् डॉ. गोपाल शास्त्री नें कहा कि रामचरित मानस में मानव स्वास्थ्य की कूंजी है। मानस की रचना देवाधिदेव शिव नें सर्वप्रथम की थी। तुलसी के माध्यम सें हमें यह अलौकिक ग्रंथ प्राप्त हुआ है। समस्त वैदिक ज्ञान का सार मानस में समाहित है। मानस में स्वस्थ जीवन शैली एवं प्रभु चरणों का अनुग्रह प्राप्त करनें का सरल मार्ग मिलता है।
डॉ. गोपाल शास्त्री नें कहा कि भूमि से दूर होने एवं भूमि पर नहीं बैठने की प्रवृति के कारण ही घुटनों में पीड़ा सामान्य होती जा रही है। ध्यान की 108 विधियाँ प्रमुख है, इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है, शिथिलीकरण और केंद्रीकरण।
अतिथियों का स्वागत करते हुए नगरसभा के अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण माहेश्वरी नें कहा कि स्वास्थ्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। हम रोगों को विपरीत जीवनशैली के कारण आमत्रिंत करते हैं। साधिका शकुन्तला गट्टानी नें स्वानुभव बताते हुए कहा कि उपवास रोगमुक्ति का अचूक उपाय है। संयोजन मुरलीधर गट्टानी नें किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि समाजसेवी गोपाल काबरा, प्रदेश संयुक्त मंत्री अर्जुन मंत्री एवं जिलासभा अध्यक्ष जानकीलाल मूंदड़ा थे। आभार सचिव जगदीश हेड़ नें व्यक्त किया।

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