कुपोषण व माइक्रोन्यूट्रियेन्ट की कमी को दूर करने की महत्ता बताई

DSC_0344DSC_0321उदयपुर/ राजस्थान में खाद्य पदार्थो आटा-तेल-दूध को अधिक पौष्टिक बनाने के लिए माइक्रोन्यूट्रियेन्ट सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाकर फुड फोर्टीफिकेशन की परियोजना राज्य में गत दो वर्ष से चल रही है। इस परियोजना के द्वारा कुपोषण, एनीमिया, अंधत्व में कमी लाने के साथ मातृ शिशु मृत्यु दर घटाने का भी लक्ष्य है।
उक्त जानकारी स्वास्थ्य प्रबन्धक शोध संस्थान (आई.आई.एच.एम.आर.) जयपुर एवं ग्लोबल एलायन्स फॉर इम्पु्रव्ड न्यूट्रीशियन (गेन-जिनेवा) के संयुक्त तत्वावधान में चलाई जा रही परियोजना के निदेशक डॉ.एम.एल.जैन ने आज उदयपुर स्थित होटल सभागार में आयोजित मीडिया कार्यशाला में दी ।
‘फोर्टिफाइड आहार स्वास्थ्य का आधार को लेकर लक्ष्य की गई परियोजना में आटे में आयरन, फोलिक एसिड व विटामिन-12, दूध व तेल में विटामिन- ए एवं विटामिन-डी मिलाकर गुणवत्ता बढ़ाई जाती है। फोर्टीफिकेशन से खाद्य पदार्थो के रंग, स्वाद व महक में कोई बदलाव नही होता है।
परियोजना निदेशक डॉ.एम.एल. जैन ने बताया कि स्वास्थ्य प्रबधंन शोध संस्थान और राजस्थान कोपरेटिव फेडरेशन (आर.सी.डी.एफ.) में हुए समझोते के अनुसार सरस के टोण्ड एवं डबल टोण्ड दूध को फोर्टिफाइड करने के लिए विटामिन ए व डी की सूक्ष्म मात्रा मिलाकर दूध को और अधिक पौष्टिक बनाकर उपभोक्ताओं को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराया जायेगा। इसी तरह दिव्या एग्रो फूड प्रोडक्ट्टस प्राईवेट लि. कोटा एवं लोटस डेयरी जयपुर के साथ जनवरी 2013 में दूध को विटामिन ए व डी से फोर्टीफाइड करने का समझौता किया गया है।
डॉ. जैन ने बताया कि सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित करीब 58 हजार टन फोर्टिफाइड आटा खुदरा बाजार में मई 2013 तक उपलब्ध कराया जा चुका है। उदयपुर की कई निजी आटे की प्रमुख आटा मिलों के द्वारा भी अनुबन्ध के आधार पर बाजार में फोर्टिफाइड आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। उदयपुर की विभिन्न आटा मिलों द्वारा प्रतिमाह 2000 मेट्रिक टन फोर्टीफाइड आटा वर्तमान में उपलब्ध कराया जा रहा है।
उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र सलुम्बर व सराड़ा में 3 वर्षीय पायलट परियोजना के अंतर्गत छोटी आटा चक्कीयों के माध्यम से भी फोर्टीफाइड आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रो में चलाई जा रही परियोजना के तहत् अब तक ग्रामिण क्षेत्रों की 375 आटा चक्कियों को चिन्हित किया है जिमसें से 200 चक्कियों द्वारा फोर्टीफाइड आटा पीसकर वितरित किये जाने की प्रक्रिया चल रही है। डॉ. जैन ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र प्रयोगशाला द्वारा जांच के बाद ही फोर्टीफाईड आटो की पूर्ति की जाती है। डॉ. जैन के अनुसार इन्हीं क्षेत्रो में किशोरी कन्याओ, गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं एवं पांच वर्ष से छोटे बच्चों के हिमोग्लोबिन की जांच संबंधित बेसलाइन सर्वे भी किया गया है।
परियोजना प्रबन्धक डॉ. जतिन्दर बीर ने योजना के अन्तर्गत कार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि विटामिन ए व डी से फोर्टीफाइड तेल ‘महाकोष’, ‘चम्बल’, ‘स्टेफिट’, ‘ध्ूा्रव’ एवं ‘आंचल’ ब्राण्ड से प्रदेश के बाजार में उपलब्ध है। तेल उद्योग की साझेदारी से 1 लाख 90 हजार टन खाद्य तेल को फोर्टीफाइड किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि मिड डे मील में सामान्य दाल में सोयादाल एनालाग का मिश्रण किया जाता है।
डॉ. जतिन्दर बीर ने बताया कि फोर्टीफाइड आहार की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये उद्योगों के प्रतिनिधियों के लिये विभिन्न स्तर के प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है। हाल ही में सभी जिलो के सीएमएचओ और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किये गये है। फोर्टीफाइड आहार की आवश्यकता, महत्ता एवं जनजागरूकता के लिये विभिन्न माध्यमों के साथ राज्य के विभिन्न जिलो में स्कूली बच्चों की रैलियां भी आयोजित करने के साथ ही महिलाओं की रैलियां भी आयोजित की जा रही है।
डॉ. बीर ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संस्था गेन द्वारा 5 वर्षीय परियोजन के लिये सूक्ष्म पोषक तत्व एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। यह संस्था कई देशों के साथ विभिन्न राज्यों में सरकारो के सहयोग से खाद्य पदार्थो को फोर्टीफाइड करने में सहायता उपलब्ध करा रही है।
सामाजिक सरोकारो से जुडी परियोजना में मीडिया की उत्तरदायी भूमिको रेखाकिंत करते हुए मिडिया विशेषज्ञ डॉ. महेन्द्र भानावत ने बताया कि सूक्षम पोषक तत्वों के माध्यम से माइक्रोन्यूट्रियेन्ट व खुन की कमी दूर करने की इस महत्ती योजना के दूरगामी परिणामों को प्राप्त करने में मीडिया को सकारात्मक सहयोग प्रदान करना चाहिए।
इस अवसर पर विभिन्न मीडियाकर्मियों द्वारा परियोजना सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर भी प्रदान किये गये। परियेाजना निदेशक डॉ. एम.एल. जैन ने आभार व्यक्त किया।
-कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
94140-47744

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