कुपोषण व माइक्रोन्यूट्रियेन्ट की कमी को दूर करने की महत्ता बताई

DSC_0434DSC_0394DSC_0390जोधपुर, आम नागरिक द्वारा सबसे अधिक उपभोग किये जाने वाले खाद्य आहार- आटा, तेल, दूध को और अधिक पोष्टिक बनाकर बिना अतिरिक्त लागत के उपलब्ध कराने के लिए ‘‘फूड फोर्टीफिकेषन’’ की परियोजना राज्य में गत दो वर्ष से संचालित की जा रही है। इस परियोजना के माध्यम से आटे में आयरन, पोलिक एसिड व विटामिन-12 एवं दूध व तेल में विटामिन ए व डी मिलाकर गुणवता बढ़ाई जाती है। फोर्टिफिकेषन से खाद्य पदार्थो के रंग, स्वाद व महक में कोई बदलाव नहीं आता है।
स्वास्थ्य प्रबन्धन एवं शोध संस्थान (आई आई एच एम आर), जयपुर एवं ग्लोबल एलायन्स फार इम्प्रूवड न्यूट्रीषियन (गेन-जिनेवा) के सयुक्त सहयोग से संचालित परियोजना के निदेषक डॉ. एम.एल. जैन ने आज जोधपुर स्थित चन्द्रा इन होटल के सभागार में फोर्टीफाइड आहार स्वास्थ्य का आधार विषयक मीडिया कार्यषाला में उक्त जानकारी दी।
डॉ. जैन ने विभिन्न देषों एवं राज्यों में फूड फोर्टीफिकेषन के माध्यम से कुपोषण, माइक्रोन्यूट्रियेन्ट एवं खून की कमी को दूर करने के सकारात्मक परिणामों की जानकारी देते हुए बताया कि विटामिन ए की की पर्याप्त मात्रा में खुराक दे दी जाये तो बाल मृत्यु दर एवं दृष्टिहीनता (अंधता), में भारी कमी आ सकती है। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से लगभग आधे कुपोषित होते है। यूनीसेफ की द स्टेट आूफ वर्ल्डस चिल्ड्रन-2009 के अनुसार राजस्थान में लगभग 1,50,000 बच्चे अपने पांचवे जन्म दिवस पर पहुंचने के पूर्व ही मर जाते है। इसी प्रकार राजस्थान में प्रति वर्ष लगभग 8000 महिलाओं की गर्भावस्था और प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है। अपर्याप्त आहार का मिलना और संक्रमण एक दुश्चक्र बनाते हैं जिसकी वजह से उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी हो जाती है, जिससे कुपोषण और शिशु मृत्यु दर बढ़ जाते है। इसी तरह विटामिन ए की कमी के कारण गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
परियोजना निदेशक डॉ.एम.एल. जैन ने बताया कि स्वास्थ्य प्रबधंन शोध संस्थान और राजस्थान कोपरेटिव फेडरेशन (आर.सी.डी.एफ.) में हुए समझोते के अनुसार सरस के टोण्ड एवं डबल टोण्ड दूध को फोर्टिफाइड करने के लिए विटामिन ए व डी की सूक्ष्म मात्रा मिलाकर दूध को और अधिक पौष्टिक बनाकर उपभोक्ताओं को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराया जायेगा। इसी तरह दिव्या एग्रो फूड प्रोडक्ट्टस प्राईवेट लि. कोटा एवं लोटस डेयरी जयपुर के साथ जनवरी 2013 में दूध को विटामिन ए व डी से फोर्टीफाइड करने का समझौता किया गया है। डॉ. जैन ने बताया कि सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित करीब 60 हजार टन फोर्टिफाइड आटा खुदरा बाजार में मई 2013 तक उपलब्ध कराया जा चुका है।
उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र सलुम्बर व सराड़ा में 3 वर्षीय पायलट परियोजना के अंतर्गत छोटी आटा चक्कियों के माध्यम से भी फोर्टीफाइड आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रो में चलाई जा रही परियोजना के तहत् अब तक ग्रामिण क्षेत्रों की 375 आटा चक्कियों को चिन्हित किया है जिमसें से 200 चक्कियों द्वारा फोर्टीफाइड आटा पीसकर वितरित किये जाने की प्रक्रिया चल रही है। डॉ. जैन ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र प्रयोगशाला द्वारा जांच के बाद ही फोर्टीफाईड आटो की पूर्ति की जाती है। डॉ. जैन के अनुसार इन्हीं क्षेत्रो में किशोरी कन्याओ, गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं एवं पांच वर्ष से छोटे बच्चों के हिमोग्लोबिन की जांच संबंधित बेसलाइन सर्वे भी किया गया है।
परियोजना प्रबन्धक डॉ. जतिन्दर बीर ने योजना के अन्तर्गत कार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि विटामिन ए व डी से फोर्टीफाइड तेल ‘महाकोष’, ‘चम्बल’, ‘स्टेफिट’, ‘ध्ूा्रव’ एवं ‘आंचल’ ब्राण्ड से प्रदेश के खुदरा बाजार में उपलब्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि मिड डे मील में सामान्य दाल में सोयादाल एनालाग का मिश्रण किया जाता है। जिसमे आयरन व फालिक एसिड को मिलाया जाता है।
डॉ. जतिन्दर बीर ने बताया कि फोर्टीफाइड आहार की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये उद्योगों के प्रतिनिधियों के लिये विभिन्न स्तर के प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है। हाल ही में सभी जिलो के सीएमएचओ, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों और खाद्य विष्लेषको के प्रशिक्षण आयोजित किये गये है। फोर्टीफाइड आहार की आवश्यकता, महत्ता एवं जनजागरूकता के लिये विभिन्न माध्यमों के साथ राज्य के विभिन्न जिलो में स्कूली बच्चों की रैलियां भी आयोजित करने के साथ ही महिलाओं की रैलियां भी आयोजित की जा रही है।
सामाजिक सरोकारो से जुडी परियोजना में मीडिया की उत्तरदायी भूमिको रेखाकिंत करते हुए मीडिया सलाहकार कल्याण सिंह कोठारी ने बताया कि सूक्षम पोषक तत्वों के माध्यम से माइक्रोन्यूट्रियेन्ट व खुन की कमी दूर करने की इस महत्ती योजना के दूरगामी परिणामों को प्राप्त करने में मीडिया को सकारात्मक सहयोग प्रदान करना चाहिए।
इस अवसर पर विभिन्न मीडियाकर्मियों द्वारा परियोजना सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर भी प्रदान किये गये। परियेाजना निदेशक डॉ. एम.एल. जैन ने प्रतिभागीयों का आभार व्यक्त किया।
-कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
94140-47744

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