दिशा का सही आंकलन ही करता है सही वास्तु का निर्माण

शैलेन्द्र माथुर
शैलेन्द्र माथुर
वास्तु शास्त्र की मुख्य अवधारणा पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति पर आधारित है। पृथ्वी एक महाचुम्बक है,जिसका प्रभाव पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक प्राणी पर पड़ता है।वास्तु निर्माण करने से पूर्व प्लाट का सीमांकन करने के बाद उपयुक्त दिशा का अंकन कर लेना चाहिए।जिस प्रकार एक चुम्बक को तोड़ने पर उतने ही नए चुम्बक बन जाते है तथा प्रत्येक के भिन्न- भिन्न उत्तर व दक्षिण ध्रुव भी,ठीक उसी प्रकार बड़े खेत या जमींन के टुकड़े या प्लॉटिंग करने पर भी उतने ही दिशाओं में वो प्लाट विभक्त हो जाता है।नक्शा बनाने से पहेल दिशा ज्ञान के लिए अच्छी क्वालिटी वाला मेग्नेटिक कंपास प्रयुक्त करना चाहिए ना की सूर्य की दिशा पर निर्भर रहना चाहिए।अधिकांश पंडित नींव का मुहर्त सूर्य की दिशा देख कर करवा देते है।हाल ही में मैं अपने रिश्तेदार के मकान के नींवं के महुर्त में शामिल हुआ,नींव का पूजन ईशान्य कोण में होना तय हुआ था जबकि पंडित जी के निर्देशन में ठेकेदार ने आग्नेय कोण में नींव का खड्डा खोद दिया।मैने पंडित जी से कहा की मुहर्त तो ईशान्य कोण में होना तय हुआ था!पंडित जी ने तुरंत ही जवाब दिया की ये खड्डा ईशान्य में ही तो है श्रीमान्!मैंने कहा कैसे?उन्होंने मुझे सूर्य की ओर इशारा करते हुए समझाया,परंतु मै भली भांति समझ गया था की पंडित जी क्या समझाना चाह रहे है।मैंने पंडित जी को समझाया की अभी प्रातः के नौ बजे है और सूर्य देव तो आग्नेय कोण पार कर चुके है,हमेशा दिशा का ज्ञान कंपास से ही करना चाहिए।
अधिकांश लोग वास्तु का ज्ञान पुस्तकों/इंटरनेट/टीवी के माध्यम से प्राप्त तो कर लेते है परन्तु दिशा का सही अवलोकन नहीं कर पाते यथासंभव ये वास्तुदोष का एक कारण बन जाता है।
आजकल मोबाईल फोन में भी लोग कंपास डाउनलोड कर लेते है परन्तु वे भी त्रुटी पूर्वक दिशा का आभास कराते है क्योंकि मोबाईल स्वयं की भी तो विद्युत चुम्बकीय तरंगे उत्सर्जित करता है।अतः ऐसे कंपास त्रुटी दर्शाते है।सही दिशा का आंकलन उपयुक्त क्वालिटी के कंपास से ही चुम्बकहीन माध्यम में ही करना चाहिए।
-इंजी.शैलेन्द्र माथुर(बी.टेक),अजमेर

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