तामसी प्रव्रत्तियों पर सात्विक प्रव्रत्तियों की विजय का पर्व—–दशहरा—part-2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
अत: आज हम सभी अपने सच्चे मन से स्वयं से यह वादा करें कि अपने भारत को प्रगतिशील, उन्नत, सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने हेतु परस्पर स्नेह, सोहार्द, सामंजस्य स्थापित करने हेतु क्रोध, अभिमान, लालच- लोभ, मद, मोह, अहंकार, हिंसा चोरी-डकेती ,ईर्ष्या-डाह का परित्याग कर आपस में सद्भावनापूर्ण सम्बन्ध बना कर रहेगें |एक दुसरे की मदद करेगें |बहिन बेटियोंके सम्मान की रक्षा करेगें |अगर ऐसा हो पाया तो सही अर्थों में हम श्री राम के आदर्शों को अंगीकार कर विजयदशमी के पर्व को सार्थक बना सकगें |

सच्चाई तो यही है कि रावण की राम के हाथों पराजय उसके अहंकार के कारण ही हुयी थी | रावण का अहंकार ही उसकी म्रत्यु का कारण बना अत: निर्विवाद रूप से अहंकार मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है |
क्रोध एक माचिस की तिली है जो दूसरों को जलाने से पूर्व खुद को ही जला डालती है | क्रोध में हम अपना विवेक एवं मानसिक संतुलन खो कर अपना ही नुकसान करते हैं| क्रोधित होकर हम सफलता के सभी दरवाजे बंद कर देते हैं |
हमारे दुर्व्यसन यानि धूम्रपान, मिथ्या वचन, दूसरों के साथ मारपीट करना, दूसरों को अपमानित करना एवं प्रताड़ित करना, शराब पीना हमें सन्मार्ग से हटा कर विनाश के गर्त में ढकेलते हैं जिससे हमारा जीवन नारकीय बन जाता है|
आलस्य आदमी को उसके कर्मों से विमुख कर देता है, उसकी बुद्धी मंद हो जाती है जिससे समाज में उसकी कोई अहमियत नहीं होती है और वह उपेक्षा का पात्र बनता है|

प्रस्तुतिकरण—-डा. जे.के.गर्ग
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