पाँच दिन का पर्व हैं —— दीपावली भाग-1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
विक्रम सवंत के अनुसार दीवाली कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की 13 वें चंद्र दिन पर मनाया जाता है। यह परम्परागत रुप से हर साल मध्य अक्टूबर या मध्य नवम्बर में दशहरा के 18 दिन बाद मनाया जाता है।
दीपोत्सव पाँच दिन का पर्व हैं:—–दिवाली के पॉचों दिनों यानि धनतेरस, नरक चतुर्दशी , अमावस्या, कार्तिक सुधा पधमी एवं यम द्वितीया या भाई दूज | इन सभी दिनों के बारे में कई किंवदंतियॉं और कथायें प्रचलित है। कुछ स्थानों पर जैसे कि महाराष्ट्र में दीवाली का पर्व छह दिनों में पूरा होता है यानि वहां वासु बरस या गौवास्ता द्वादशी के साथ शुरू होता है और भय्या दूज के साथ समाप्त होता है ।
1. धनतृयोदशी या धनतेरस या धनवंन्तरी तृयोदशी:— यह भगवान धनवंतरी (देवताओं के चिकित्सक) की जयंती (जन्मदिन की सालगिरह) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अवतरित हुए थे | धनतेरस का अर्थ है धन एवं धन का अर्थ है संपत्ति | इस दिन को शुभ मानते हुए लोग बर्तन, सोना–चादीं खरीदकर धन के रूप में घर लाते है।
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के गर्ग
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