दीपोत्सव- विवेक, न्याय, सदाचार, अहंकार एवं प्रकाश की अविवेक, अन्याय, अनाचार, विनम्रता और अंधकार पर विजय का पर्व—-Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
दीपावली का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन उल्लास और उमगं के साथ मनायी जाती है | अमावस्या यानि अंधकार, जो अज्ञानता और विकारों का प्रतीक है | इसलिए घर-घर में अंदर और बाहर अधिकाधिक दीपमालाएं आदि लगाने की होड़ लग जाती हैं | सच्चाई तो यही है कि इन्सान की आत्मा ही सच्चा और अविनाशी निरंतर प्रकाशित होने वाला दीपक है | इसलिए सच्ची दीपावली मनाने के लिए घरों में मिट्टी के दिये जलाने के साथ मन के दीप को जलाना और उसके प्रकाश को चारों ओर फैलाना ज्यादा जरूरी है | अत: आईये हम दीपावली पर स्थूल रोशनी करने के बजाय अज्ञान रुपी अंधकार को मिटाकर अंतर्मन में आत्मज्ञान की ज्योति जलाने की प्रतिज्ञा लेकर इसे मूर्तरूप भी दें |
दीपावली को पूरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों यथा ब्रिटेन नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सूरीनाम, कनाडा, गुयाना, केन्या, मॉरिशस, फिजी, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया,म्यांमार, सिंगापुर, श्रीलंका, अमेरीका, दक्षिण अफ्रीका, तंजानियां, ट्रिनीडाड, टोबैगो, जमैका, थाईलैंड, आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात आदि में हर्षोल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है जिसमे जिसमें भारतीयों के साथ वहां के मूलनिवासी भी भाग लेते हैं | अमेरीकन सरकार ने इस दीपावली पर विशेष डाक टिकिट निकला है |
दीपावली का संदेश पूरी दुनिया से दारिद्र्य, अज्ञान, अनाचार, कुंठा एवं वैरभाव को मिटा कर उसकी जगह समृद्धि, सुख-सुविधा, ज्ञान, सदाचार,स्वास्थ्य, भ्रातृत्व एवं आनंद की स्थापना करने का ही है |
प्रस्तुतिकरण कर्ता–डा. जे. के. गर्ग
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