यह थोपा गया रिश्ता मुझे मंजूर नहीं

6 माह की उम्र में हुई अपनी शादी को अब ठुकराना चाहती हैं प्रेम

अपने माता पिता के साथ प्रेम
अपने माता पिता के साथ प्रेम
-बाबूलाल नागा-
मात्र 6 माह की उम्र में प्रेम के हाथ पीले कर दिए गए। उस महनूस दिन को आज करीब 23 साल हो गए। इतने साल पहले के रिश्ते का बोझ लिए प्रेम जी रही है। अपनी बचपन में हुई इस शादी को अब वह ठुकराना चाहती है। इसके लिए वह पिछले 5 साल से संघर्ष कर रही है। कहती है, ’’मुझे जीवनसाथी चाहिए, यूं बचपन में थोपा गया रिश्ता नहीं जो आज इतने साल बाद मुझ पर अपनी पत्नी होने का हक जता रहा है। और अपने साथ जबरन ले जाने के लिए मुझे प्रताड़ित कर रहा है।’’
दलित समाज से तालुक रखने वाली 24 वर्षीय प्रेम मेघवाल चिŸाौड़गढ़ जिले के भदेसर तहसील की धीर जी का खेड़ा के अमरापुर गांव की रहने वाली हैं। वह एक सामान्य परिवार में जन्मी। बचपन में ही जिंदगी ने संघर्षों से लड़ना सीखा दिया था। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। पिता शंकर लाल मेघवाल हर शनिवार को बालुड़ी गांव में एक मंदिर में पूजा पाठ करते हैं। साथ ही बकरियां चराते हैं। एक बीघा जमीन है जिस पर थोड़ी बहुत खेती करते हैं। मां रामकन्या गृहणी हैं। शंकर लाल ने अपनी दो बड़ी बेटियों के साथ प्रेम का भी बाल विवाह कर दिया। सबसे बड़ी बहिन 10 वर्ष की थी। उससे छोटी 8 साल की और स्वयं प्रेम मात्र 6 माह की। तीनों बहिनों का ही बाल विवाह हुआ। पिता के लिए तो एक जिम्मेदारी का बोझ उतर गया था पर उन्हें इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि उनकी यह एक नादानी भविष्य में क्या रूप ले लेगी।
गांव की पहली लड़की जो 12वीं तक पढ़ीः
प्रेम बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रही। वह एक बार भी फेल नहीं हुई। उसने 12वीं तक की पढ़ाई भदेसर की सरकारी स्कूल से की। स्कूल फीस जमा कराने के लिए दिन-रात खेतों में काम किया। जो पैसा कमाया उससे अपनी शिक्षा हासिल की। उसके सामने कई मुश्किले आईं लेकिन उसे जिंदगी में कुछ कर गुजरने की चाहत थी। इसलिए उसने इन सभी सामाजिक मुश्किलों का सामना किया और आगे बढ़ी। प्रेम पूरे अमरापुर गांव के किसी भी समाज की पहली लड़की है जो 12वीं से आगे तक की पढ़ाई कर पाई है। प्रेम ने वर्ष 2013 में एक निजी कॉलेज से बीबीए किया। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान छात्रवृति मिली जिससे उसे कुछ मदद मिली। आज वह चिŸाौड़गढ़ के एक निजी कॉलेज से एमबीए कर रही है। गांव से रोज अपडाउन करती हैं।
काम करने में कैसी शर्मः
प्रेम को बचपन में सब यह कहकर चिढ़ाते कि तेरी तो शादी हो गई है पर उसने इस बात पर कभी गौर नहीं किया। बचपन में हुई इस शादी का पता उसे तब लगा जब वह 12 वीं में पढ़ रही थी। प्रेम अपने पिता के काम में हाथ बढ़ाती है। उसे इस बात ही कतई शर्म नहीं है कि इतना पढ़ी लिखने के बाद भी बकरियां चराने जाती हैं। वह अपनी मां के कामों में भी मदद करती है। कहती है मुझे सिर्फ पढ़ाई करनी है और कुछ बन कर दिखाना है।
पति कर रहा है प्रताड़ितः
प्रेम का ससुराल नाहरगढ़ ग्राम पंचायत के आलेड़ा गांव में है। प्रेम और उसकी बहिन राधा का विवाह एक ही घर हुआ पर उसकी बहिन की मौत हो चुकी है। वह ना इस रिश्ते को मानती है और ना ही उस घर में जाना चाहती है। दो साल पहले 9 नवंबर 2014 को उसका कथाकथित पति किशन उर्फ भीमा अपने कुछ साथियों के साथ आया और प्रेम को मार -पीट कर जबरन ले जाने कोशिश की।
इस मामले की रिपोर्ट प्रेम ने भदेसर थाने में दर्ज करवाई। पुलिस ने किशन को पाबंद किया। कुछ दिन तक तो उसने कोई हरकत नहीं की पर अब वह फिर से अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। प्रेम को आए दिन तंग करता है। कॉलेज जाते समय रास्ते में उसे रोक कर बदतमीजी करता है। उसे कॉलेज नहीं जाने के लिए धमकाता है। प्रेम अब तलाक चाहती है। कारण उसने अपने सुनहरे भविष्य का सपना जो संजोया है। वह अभी आगे पढ़ना चाहती है।
बाबूलाल नागा
बाबूलाल नागा
उसने निम्बेहड़ा कोर्ट में तलाक की अपील दायर की है।
प्रेम न केवल अभी पढ़ रही है बल्कि परिवार के जीवन यापन के लिए नौकरी भी ढूंढ़ रही है। खुद व अपने परिवार को सम्हाल रही है। कहती है, ‘‘इस छोटी सी जिंदगी ने मुझे काफी कुछ सिखाया। तमाम मुश्किलों के बाद भी मैंने लड़ना सीखा। अब मुझे अपने सपने पूरे होते हुए नजर आते हैं तो ऐसे में मैं अपनी जिंदगी क्यूं बर्बाद होने दूं।’’
पंच डाल रहे हैं दबावः
प्रेम से जुड़े इस मामले में जाति पंच भी अनावश्यक दखल डाल रहे हैं। प्रेम को यह सब मंजूर नहीं। कहती है ये पंच झ्रगड़े के रूप में मिलने वाले पैसे को बांटना चाहते हैं। इसलिए मेरे परिवार पर मामले को रफा दफा करने का दवाब डाल रहे हैं। प्रेम के माता-पिता उसके साथ हैं। कहते हैं हमारी एक गलती से आज प्रेम का जीवन बर्बाद हो गया पर अब उसके साथ अन्याय नहीं होने देंगे। आज अगर वह अपने ससुराल नहीं जाना चाहती तो हम उसे जबरन भेजना भी नहीं चाहते। उसे वो ही करने देंगे जो वह चाहेगी। क्योंकि अब वह ही हमारा एकमात्र सहारा है।

-बाबूलाल नागा (लेखक जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार व फीचर सेवा विविधा फीचर्स के संपादक हैं)

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