जीवन में खुशीयां प्राप्त करने एवं खुशहाल रहने के लिये मुहं न मोड़े अटल सच्चाईयों से—Part-3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
1.अपने कार्य और कर्तव्य को सही तरीके से निष्पादन हेतु आदमी को अपने सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों को मधुर तथा स्नेही बनाने होगें | याद रखिये कि अगर आदमी अपने सामाजिक और पारस्परिक रिश्तों को माधुर्यपूर्ण नही बनायगा तो अवश्यंभावी वो अपने कार्य और कर्तव्य कोसही तरीके से नहीं कर पायगा | अगर जिंदगी को झंझट बनने से बचाना है तो लोगों से प्यार भी करना होगा और उन पर भरोसाभी। जीवन का प्रत्येक क्षण को आनन्दऔर खुशी से जीना होगा |
2.जीवन को खुशहाल बनाने और सफलता प्राप्त करने के लिये आत्मकेंद्रित बनने के बजाय समाजकेन्द्रित, परिवार केन्द्रित,देशभक्ति केन्द्रित एवंमानवसेवा केन्द्रित बनें । याद रक्खें कि आत्मकेंद्रित एवं अभिमानी इंसान उसके जीवन में होने वाली परीक्षा में अक्सर असफल हो जाते हैं | इसीलिए स्वार्थी के स्थान पर परमार्थी बने |
3.जब कभी कोई आपकी मदद करें या सहयोग दें तो उनकी उनके सम्मुख एवं पीठ पीछे प्रशंसा करें, ऐसा करने से मदद करने वालों को खुशीमिलेगी वहीं आपको भरोसेबंद अच्छे दोस्त भी मिल जायेगें | रोज दूसरों के कार्यों में अच्छाईयां खोज कर उसकी सराहना करें जिससे आपसी रिश्तें सोहार्दपूर्ण बनेगें।
आपको सोपें गये कार्यों को टालें नहीं क्योंकि किसी काम को टालना वास्तिवकता में उस चिता के समान है जिसमें आप अपनी सफलता को ही भस्म कर देते हैं। सच्चाई तो यही है कि अपने कर्त्तव्यों और वर्क को टालना जीवन में प्राप्त अवसर को उपजने से पहले ही जला देना हीहोता है । संत कबीर ने सही ही कहा था कि “काल करे जो आज कर, आज करे जो अब, पल में प्रलय होगी बहरी करोगे कब”, अपने मन में इससच्चाई को कबूल कर लें कि आज का काम आज ही पूरा करना है |
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र-पत्रिकाये ,मोटिवेशन गुरुओं के लेख, शुभविलास दास, एडवर्ड मॉर्गन फोर्स्टर, आदि
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