डा. जे.के.गर्गमनोविज्ञानिकों के अनुसार इन्सान की सोच या नजरिया उसकी किसी वस्तु या घटना के पक्ष या विपक्ष में भावना की अभिव्यक्ति है। या दूसरे शब्दों में, सोच किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में सोचने या विचार करने का एक स्थाई तरीका है। याद रक्खें कि जहाँ सकारात्मक विचार, सकारात्मक भावना, और सकारात्मकता की अभिव्यक्ति होती है। निर्विवाद रूप से कहा जाता है कि नकरात्मक सोच हमें आनंद और स्वस्थ जीवन से दूर ले जाती है। विभिन्न शीध कार्य में भी यही निष्कर्ष निकला है कि हमारे कार्य नकारात्मक ऊर्जा से प्रेरित होते हैं। यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन ने रिसर्च में पाया कि हमारे दिमाग में आमतौर पर एक दिन में लगभग 50 हजार विचार आते हैं। आश्चर्य जनक बात यह है कि इनमें से करीब 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत विचार नकारात्मक होते हैं। इसका मतलब है कि एक दिन में करीब 40 हजार और एक साल में करीब 1 करोड़ 46 लाख नकारात्मक विचार आते हैं। अब यदि आप यह कहें कि दूसरों की तुलना में आप 20 प्रतिशत सकारात्मक हैं, तो भी एक दिन में 20 हजार नकारात्मक विचार होंगे, जो वास्तव मैं आवश्यकता से बहुत अधिक हैं। अब स्वाभाभिक प्रश्न उठता है कि इतने अधिक नकारात्मक विचार आते क्यों है? रिसर्च में भी यह बात सामने आई कि नकारात्मक विचार और भाव दिमाग को खास निर्णय लेने के लिए उकसाते हैं। ये विचार मन पर कब्जा करके दूसरे विचारों को आने से रोक देते हैं। हम केवल खुद को बचाने पर फोकस होकर फैसला लेने लगते हैं।
प्रस्तुतिकरण—-डा. जे. के. गर्ग
सन्दर्भ—– मेरी डायरी के पन्नें, विभिन्न पत्रपत्रिकायें,अभिषेक कांत पाण्डेय, डा. के.वी आनन्द आदि
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