जानिए वर्ष 2017 में पड़ने वाले ग्रहण के बारे में

दयानन्द शास्त्री
दयानन्द शास्त्री
प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस वर्ष 2017 में कुल चार ग्रहण लग रहे है |
दो सूर्य ग्रहण और 2 चन्द्र ग्रहण होंगे , वैज्ञानिक दृस्टि से जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आते है तो उसे ग्रहण का नाम दिया जाता है , भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का व्यापक प्रभाव बताया गया है सबसे पहले देश दुनिया में 11 फरवरी को लगने वाले उपच्छाया चंद्रग्रहण से शुरू होगा। वर्ष 2017 का यह पहला ग्रहण भारत में दिखायी देगा।ग्रहण का प्रभाव उस देश में ही होता है जहाँ पर यह पूर्ण रूप से दिखाई देता है | इन ग्रहण का असर वहां के लोगों पर होगा जहां ये दिखाई देंगे। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, खगोलविदों के लिये दोनों ही आकर्षण का केंद्र होते हैं। रही बात आम लोगों की, तो कुछ लोग इसे भौगोलिक घटना से जोड़ते हैं तो वहीं तमाम लोग ऐसे हैं, जो इसे धर्म-कर्म से जुुड़ी घटना मानते हैं।

प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की सूर्य संपूर्ण जगत की आत्मा का कारक ग्रह है। वह संपूर्ण चराचर जगत को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है इसलिए कहा जाता है कि सूर्य से ही सृष्टि है। अतः बिना सूर्य के जीवन की कल्पना करना असंभव है। चंद्रमा पृथ्वी का प्रकृति प्रदत्त उपग्रह है। यह स्वयं सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होकर भी पृथ्वी को अपने शीतल प्रकाश से शीतलता देता है। यह मानव के मन मस्तिष्क का कारक व नियंत्रणकर्ता भी है। सारांश में कहा जा सकता है कि सूर्य ऊर्जा व चंद्रमा मन का कारक है।

प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की राहु-केतु इन्हीं सूर्य व चंद्र मार्गों के कटान के प्रतिच्छेदन बिंदु हैं जिनके कारण सूर्य व चंद्रमा की मूल प्रकृति, गुण, स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है। यही कारण है कि राहु-केतु को हमारे कई पौराणिक शास्त्रों में विशेष स्थान प्रदान किया गया है। राहु की छाया को ही केतु की संज्ञा दी गई है। राहु जिस राशि में होता है उसके ठीक सातवीं राशि में उसी अंशात्मक स्थिति पर केतु होता है। मूलतः राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के संपात बिंदु हैं जिन्हें खगोलशास्त्र में चंद्रपात कहा जाता है।

प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ज्योतिष के खगोल शास्त्र के अनुसार राहु-केतु खगोलीय बिंदु हैं जो चंद्र के पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने से बनते हैं। राहू-केतू द्वारा बनने वाले खगोलीय बिंदु गणित के आधार पर बनते हैं तथा इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। अतः ये छाया ग्रह कहलाते हैं। छाया ग्रह का अर्थ किसी ग्रह की छाया से नहीं है अपितु ज्योतिष में वे सब बिंदु जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन ज्योतिषीय महत्व है, छाया ग्रह कहलाते हैं जैसे गुलिक, मांदी, यम, काल, मृत्यु, यमघंटक, धूम आदि। ये सभी छाया ग्रह की श्रेणी में आते हैं और इनकी गणना सूर्य व लग्न की गणना पर आधारित होती है। प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ज्योतिष में छाया ग्रह का महत्व अत्यधिक हो जाता है क्योंकि ये ग्रह अर्थात बिंदु मनुष्य के जीवन पर विषेष प्रभाव डालते हैं। राहु-केतु का प्रभाव केवल मनुष्य पर ही नहीं बल्कि संपूर्ण भूमंडल पर होता है। जब भी राहु या केतु के साथ सूर्य और चंद्र आ जाते हैं तो ग्रहण योग बनता है। ग्रहण के समय पूरी पृथ्वी पर कुछ अंधेरा छा जाता है एवं समुद्र में ज्वार उत्पन्न होते हैं।

प्रिय पाठकों/मित्रों, ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस वर्ष, कुल 4 ग्रहण लगेंगे। पहला ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण 11 फरवरी को लगेगा, जो भारत में दिखाई देगा। फिर 26 फरवरी को वलयाकार सूर्यग्रहण लगेगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा। फिर सात अगस्त को आंशिक चंद्रग्रहण का नजारा भारत में दिखेगा। 21 अगस्त को 2017 का पूर्ण सूर्य ग्रहण आखिरी ग्रहण होगा, जो भारत में नजर नहीं आएगा।

वर्ष 2017 में घटने वाले ग्रहण की जानकारी—

पहला चन्द्र ग्रहण: 11 फरवरी (शनिवार ) , 2017
पहला सूर्य ग्रहण: 26 फरवरी (रविवार ) , 2017 को वलयाकार सूर्यग्रहण: सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुकाछिपी का यह रोमांचक नजारा भारत में दिखायी नहीं देगा।
दूसरा चन्द्र ग्रहण: 7 अगस्त (सोमवार) , 2017 को आंशिक चंद्रग्रहण: यह नजारा भारत में देखा जा सकेगा।
दूसरा सूर्य ग्रहण: 21 अगस्त (सोमवार) , 2017 को पूर्ण सूर्यग्रहण: वर्ष 2017 का यह आखिरी ग्रहण भारत में नजर नहीं आयेगा।
=================
पहला चंद्र ग्रहण 11 फरवरी, शनिवार को तड़के 4 बजकर 2 मिनट पर शुरू होगा। सुबह 6 बजकर 13 मिनट पर ग्रहण का मध्यकाल तथा 8 बजकर 15 मिनट पर ग्रहण का मोक्ष होगा।

कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: – इस ग्रहण का प्रभाव भारत, यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका के ज्यादातर हिस्सों में।

ग्रहण के दौरान चंद्रमा का एक चौथाई हिस्सा ग्रहस्तोदित रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की उपच्छाया चंद्रग्रहण तब लगता है, जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा (ग्रहण के वक्त धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है।यद्दपि यह ग्रहण भारत, पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस और सिंगापुर में दर्शनीय होगा परन्तु चन्द्र ग्रहण के दौरान किये जाने वाले धार्मिक संस्कारों का पालन नहीं होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की उपछाया के समय चन्द्र बिम्ब केवल धुंधला रहता है , पूर्ण रूप से काला नहीं होता है. इस धुंधलेपन को नंगी आँखों से देखा नहीं जा सकता है. कई बार चन्द्रमा उपछाया से प्रवेश क्र वहीँ से बहार निकल आता है जिसको विद्वान् ग्रहण की संज्ञा नहीं देते हैं इसीलिए इसका असर देश और प्रदेश में भले ही रहे लेकिन कालों के काल महाकाल पर इसका असर नहीं दिखने वाला हैं।

दरअसल, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल में 11 फरवरी को होने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। इसलिए भस्मारती तय समय के अनुसार सुबह 4 बजे तय समय पर होगी। चुंकी पंचागीय मान्यता के अनुसार देश में ग्रहण का प्रभाव नहीं होने की बात कही गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सालों से मंदिर की पूजन परंपरा में ग्वालियर के पंचांग की मान्यता मान्य होती है। जिसमें यह लिखा हैं की आगामी 11 फरवरी को ग्रहण है। हालांकि इस ग्रहण को छाया ग्रहण की संज्ञा दी है। धर्मशास्त्रीय मान्यता में छाया ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।यद्दपि यह ग्रहण भारत, पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस और सिंगापुर में दर्शनीय होगा परन्तु चन्द्र ग्रहण के दौरान किये जाने वाले धार्मिक संस्कारों का पालन नहीं होगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष है तो “ग्रहण दोष शांति पूजा” के लिए यह दिन सर्वोत्तम है. “पितृ दोष शांति ” और “वैदिक चन्द्र शांति पूजा ” के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना जाता है. इस दिन किये गये कार्यों का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है इसलिए मन्त्र सिद्धि और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए ग्रहण का दिन अत्यंत ही उपयुक्त माना गया है |प्रभाव–यह चंद्र ग्रहण शुक्रवार के दिन,पुष्य नक्षत्र में और कर्क राशि में घटने जा रहा हैं अर्थात इसका सर्वाधिक प्रभाव जल तत्व वाली राशियों जैसे कर्क,मीन आदि के साथ साथ शनि के नक्षत्रों (पुष्य,अनुराधा और उत्तर भादप्रद) पर होना संभावित हैं |
==================
पहला सूर्य ग्रहण: 26 फरवरी (रविवार ) , 2017 को है ||
कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: – यह एक आंशिक ग्रहण होगा जो कि भारत, दक्षिण / पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका की ज्यादातर हिस्सों में इसका प्रभाव नहीं रहेगा
ग्रहण का समय आंशिक सूर्यग्रहण शुरू: 26 फरवरी, 17:40 pm IST
पूर्ण सूर्यग्रहण शुरू: 26 फरवरी, 18:45 pm IST
अधिकतम ग्रहण : 26 फरवरी, 20:28 pm IST
पूर्ण ग्रहण: 26 फरवरी, 22:01 pm IST
ग्रहण अंत: 26 फरवरी, 23:05 pm IST
=================
दूसरा चन्द्र ग्रहण: 7/8 अगस्त (सोमवार), 2017

कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: भारत समेत यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका में दिखाई देगा,

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की 7 अगस्त को लगने वाले आंशिक चंद्रग्रहण का नजारा भारत में देखा जा सकेगा।सोमवार को होने वाले चन्द्र ग्रहण को ‘चूड़ामणि चन्द्र ग्रहण’ भी कहा जाता है | ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस तरह होने वाले चूड़ामणि ग्रहण में होने वाले पूजा पाठ , यज्ञ, दान पुण्य का फल अनंत माना गया है |

प्रभाव–यह चंद्र ग्रहण सोमवार (07 अगस्त 2017 ) मकर राशि और श्रवण नक्षत्र (चन्द्रमा के नक्षत्र) में घटित होगा |
इस ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर निम्नानुसार होगा—

शुभ फल– मेष,सिंह,वृश्चिक और मीन राशि पर |
माध्यम फल– वृषभ,कर्क,कन्या और धनु राशि पर |
अशुभ — मिथुन,तुला,मकर और कुम्भ राशि पर |

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष है तो “ग्रहण दोष शांति पूजा” के लिए यह दिन सर्वोत्तम है. “पितृ दोष शांति ” और “वैदिक चन्द्र शांति पूजा ” के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना जाता है. इस दिन किये गये कार्यों का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है इसलिए मन्त्र सिद्धि और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए ग्रहण का दिन अत्यंत ही उपयुक्त माना गया है |

इस ग्रहण की अवधि 5 घंटे एक मिनट होगी आंशिक ग्रहण की अवधि 1 घंटे, 55 मिनट है।
ग्रहण का समय खंडच्छायायुक्त ग्रहण शुरू: —
7 अगस्त, 21:20:01 pm IST
आंशिक ग्रहण : 7 अगस्त, 22:52:56 pm IST
अधिकतम ग्रहण: 7 अगस्त, 23:50:29 pm IST
आंशिक ग्रहण समाप्त: 8 अगस्त, 00:48:09 am IST
खंडच्छायायुक्त ग्रहण समाप्त: 8 अगस्त, 02:20:56 am IST
=================
दूसरा सूर्य ग्रहण: 21 अगस्त (सोमवार) , 2017

कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: – यूरोप, उत्तर / पूर्व एशिया, उत्तर / पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका में पश्चिम, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक की ज्यादातर हिस्सो में दिखाई देगा 21 अगस्त को लगने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण का दुनिया भर के खगोल प्रेमी इंतजार कर रहे हैं। बहरहाल, वर्ष 2017 का यह आखिरी ग्रहण भारत में नजर नहीं आयेगा।सूर्य का 90% से अधिक हिस्से में ग्रहण लगेगा।
>ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे, 18 मिनट है। पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि 3 घंटे, 13 मिनट है।
ग्रहण का चरण और समय आंशिक सूर्यग्रहण शुरू: 21 अगस्त, 21:16 pm IST
पूर्ण सूर्यग्रहण शुरू: 21 अगस्त, 22:18 pm IST
अधिकतम सूर्यग्रहण: 21 अगस्त, 23:51 pm IST
सूर्यग्रहण समाप्त: 22 अगस्त, 1:32 am IST
आंशिक ग्रहण: अंत 22 अगस्त, 2:34 IST
==========
जानिए ग्रहण के समय क्या करें क्या न करें—

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की सूर्य हो या चंद्र ग्रहण, दोनों ही अपने बुरे प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। ना केवल शास्त्रीय दृष्टि सेम वरन् साइंस ने भी ग्रहण की वजह से होने वाले बुरे प्रभावों को माना है। ग्रहण के दौरान कुछ सावधनियां बरतनी जरूरी हैं यह वैज्ञानिकों ने भी माना है, क्यूंकि ग्रहण के दौरान निकलने वाली तरंगे हमें हानि पहुंचा सकती हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की सूर्यग्रहण हो या चंद्रग्रहण, सूतक लगने के बाद से और सूतक समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिये।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ग्रहण के वक्त पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए।
ग्रहण के वक्त बाल नहीं कटवाने चाहिये।
ग्रहण के सोने से रोग पकड़ता है किसी कीमत पर नहीं सोना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ग्रहण के वक्त संभोग, मैथुन, आदि नहीं करना चाहिये।
ग्रहण के वक्त दान करना चाहिये। इससे घर में समृद्धि आती है।
कोइ भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये और नया कार्य शुरु नहीं करना चाहिये।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की अगर संभव हो सके तो पके हुए भोजन को ग्रहण के वक्त ढक कर रखें, साथ ही उसमें तुलसी की पत्ती डाल दें।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की तुलसी का पौधा शास्त्रों के अनुसार पवित्र माना गया है। वैज्ञानिक रूप से भी यह सक्षम है, इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट आसपास मौजूद दूषित कणों को मार देते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थ में डालने से उस भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होता।

error: Content is protected !!