सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब चंद्र सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। आम भाषा में इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमे चंद्र, सूर्य व पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं व चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सूर्य ग्रहण की सदैव अमावस्या के दिन घटित होता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णत अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है। कल अर्थात 26 फरवरी फाल्गुन अमावस्या को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीँ है।यह कंकणकृति सूर्यग्रहण (वलयाकार सूर्यग्रहण) है।यह दक्षिण प्रशांत महासागर से आरम्भ होकर चिली,अर्जेंटीना, अटलांटिक महासागर से होते हुए दक्षिण अफ्रीका के पश्चिम में जाकर समाप्त होगा।
कहाँ दिखाई देगा —- दक्षिण अमेरिका के दक्षिण भाग में,अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका,दक्षिण प्रशांत महासागर,दक्षिण अटलांटिक महासागर।
भारतीय समय — 5:41 सायं से 11:6 रात्रि । तब हमारे यहाँ सूर्यास्त हो चुका होगा ।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर होता है। वर्ष 2017 का पहला कंकणकृति सूर्यग्रहण (वलयाकार सूर्यग्रहण) (रविवार) दिनांक 26.02.17 को घटित होने जा रहा है।
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भारत के स्थानीय समयानुसार खंडग्रास सूर्य ग्रहण रविवार दिनांक 26.02.17 को शाम 17 बजकर 40 मि॰ पर प्रारंभ होकर रात 22 बजकर 01 मि॰ तक रहेगा।
जानिए कब लगेगा इस सूर्य ग्रहण का सूतक —
रविवार दिनांक 26.02.17 को प्रातः 05 बजकर 40 मि॰ से प्रारंभ हो जाएगा। परंतु रविवार दिनांक 26.02.17 को घटित होने वाला ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा अतः इसका धार्मिक दृष्टिकोण से शुभाशुभ प्रभाव भी मान्य नहीं होगा परंतु इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्रि ने बताया कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसका प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पड़ेगा।
कुंभ राशि में घटित होने वाले इस ग्रहण से नौकरीपेशा, मजदूरों, जल संसाधन के कार्यों, मीडिया कर्मियों, राजनेताओं को परेशानी होगी। इस ग्रहण से सोने की कीमतों में थोड़ी मंदी के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में कमी भी आएगी।