अस्थमा से लड़ने का अपनाए स्मार्ट तरीका

विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष
अजमेर, 27 अप्रेल( )। अस्थमा एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रमोद दाधीच ने कहा कि अस्थमा का उपचार अपने लक्ष्णों के आधार पर करने के बजाय फेफड़ों की कार्यक्षमता जांच से दवा की मात्रा का निर्धारण कर किया जाए। जिससे उचित मात्रा में मिलने वाली दवा कम से कम दुष्प्रभाव के साथ मरीज के अस्थमा को पूर्णतया नियंत्रण में रख सकेगी।
डाॅ प्रमोद दाधीच शुक्रवार को मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर आयोजित सीएमई को संबोधित कर रहे थे। सीएमई की अध्यक्षता मित्तल हाॅस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ विनोद विजयवर्गीय ने की। आरंभ में आॅपरेशन एंड क्वालिटी हैड डाॅ दीपक अग्रवाल ने डाॅ प्रमोद दाधीच का परिचय कराते हुए विषय की जानकारी दी। डाॅ दाधीच ने बताया कि वर्तमान में उपलब्ध नए स्मार्ट डिवाइस फेफड़े के अंदर दवा पहुंचाने की प्रतिशत बढ़ा देते हैं। अच्छे डिवाइस द्वारा कम मात्रा में दवा लेने से मरीज को दुष्प्रभाव भी कम होते हैं।
उन्होंने कहा कि इन्हेलर्स या रोटाहेलर में पाए जाने वाले स्टीराइड्स एवं मूंह से गोली के रूप में लिए जाने वाले स्टीराइडस मरीज को मोतियांबिंद, मधुमेह या हड्डियों के कमजोर होने की तकलीफ में ला सकता है। उन्होंने कहा कि यह साफ समझ आना चाहिए कि अस्थमा एक श्वास रोग है। इसका मूल ईलाज श्वास के द्वारा लेने वाली दवाइयों से ही संभव है। इसलिए स्मार्ट डिवाइस का उपयोग मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने में उपयुक्त है।
इस अवसर पर अनेक चिकित्सकों ने डाॅ प्रमोद दाधीच से सवाल भी किए जिनका उन्होंने जवाब दिया।

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