कंप्यूटर क्रांति के जनक राजीव गांधी

डा. जे.के.गर्ग
महज 40 वर्ष की उम्र में राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे | सच्चाई यही है कि राजीवगांधी को ही भारत के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त हुआ था। उस चुनाव में कांग्रेस को 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें प्राप्त हुई थी। स्मरणीय रहे कि राजीव गांधी राजनीति में आने अनिच्छुक थे किन्तु परिस्थतीयां ऐसी बनी कि उन्हें राजनीति में जबरन प्रवेश करना पड़ा। प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी अपनी माता इंदिरा गांधी से अधिक व्यावहारिक और उदार थे | राजीव गांधी ने पंजाब समस्या के समाधान को प्राथमिकता देते हुए 24 जुलाई, 1985 को अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के साथ राष्ट्र हित एक अहम समझौता किया | लालफीताशाही पर लगाम लगाकर और नीतिगत बदलाव के जरिये उन्होंने निजी क्षेत्र को औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के विस्तार की अनुमति दी | कालांतर में यही कालांतर में यही दिशा 1990 के दशक में व्यापक आर्थिक उदारवाद और मुक्त व्यापार का आधार बनी जिसे स्व .राव एवं मनमोहनसिंह ने आगे बढ़ाया पंचायती राज अधिनियम के द्वारा राजीव गांधी सरकार ने पंचायतों को महत्वपूर्ण वित्तीय और राजनीतिक अधिकार देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण तथा ग्रामीण प्रशासन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी | वर्ष 1986 में मिजोरम में लालडेंगा के नेतृत्व में दशकों से चल रहे अलगाववादी हिंसक आंदोलन को मिजोरम समझौते के द्वारा खत्म कर राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली राजीव गांधी की बड़ी सफलता मानी जाती है | वर्ष 1991 में राजीव गांधी तमिल विद्रोहियों के एक गिरोह द्वारा किये गये आत्मघाती हमले में मारे गये थे | वे भी अपनी माँ इंदिराजी के जैसे आतंकवाद के शिकार बनें |

नवंबर 1982 में भारत में आयोजित एशियाई खेलों के संचालन में राजीव गांधीजी की महत्वपूर्ण एवं सराहनीय भूमिका थी | कुछ लोग ज़मीन पर राज करते हैं और कुछ लोग दिलों पर। स्वर्गीय राजीव गांधी एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने ज़मीन पर ही नहीं, किन्तु जनमानस के ह्रदय पर भी राज किया।राजीव गाँधी ही वो इंसान थे जिसने 19वींसदी में ही 21 वीं सदी का का सपना देखा था और इसे वास्तविकता में बदलने का प्रयास भी किया । वे स्वभाव से धीर-गंभीर एवं म्रदुभाषी मानव थे, उन्होंने कभी भी असभ्य भाषा का इस्तमाल किया था | राजीव ने भारत को आधुनिक समर्द्धशाली और वैज्ञानिक सोच वाला उन्नत देश बनाने के लिए सार्थक प्रयास किये थे | उनका लक्ष्य भारत को इक्कीसवीं सदी का विकसीत देश बनाने का था। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। राजीव गांधी ने ही भारत मे व्यस्क मताधिकार की आयु सीमा को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किया था | राजीव गांधी को वे देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाता हैं। वे युवाओं के लोकप्रिय नेता थे। जब राजीव ने भारत में कम्प्युटर क्रांति का सूत्रपात किया था तब तत्कालीन विपक्षी पार्टी एवं वर्तमान शासक दल के नेताओं उनका मखोल उड़ाया और उन्हें नोसिखिया कहा |

राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप में कहा था सरकार का दिया हुआ एक रूपये में मात्र 19 पैसे जनता के हितार्थ जनउपयोगी कामों में खर्च होता है और 79 पैसे बिचोलिये के पास जाता है | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या वैसा करना है | राजीव शालीनता की प्रतिमुर्ती थे उन्होंने कभी भी अपने घोर विरोधियों के प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | आसाम समझोते के बाद जब उनकी पार्टी को असम गणपरिषद और अन्य विपक्ष की पार्टी के हाथों पराजय मिली तब उन्होंने कहा कि काग्रेस चाहे हारी हो कितु प्रजातंत्र और देश जीता है | राजीव गांधी ने हमेशा लोकतान्त्रिक भावना और देश हित को अपनी पार्टी और व्यक्तिगत हितों से ऊपर रक्खा था | राजीव वाजपेयीजी जैसे भाषण कला में माहिर नहीं थे किन्तु लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्‍होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल उन्हीं फ़ैसलों का नतीजा है। कम्प्युटर लेपटॉप को जन जन तक पहुँचाने के लिये उनके योग दान को सदेव याद किया जायेगा |

राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप में कहा था सरकार का दिया हुआ एक रूपये में मात्र 19 पैसे जनता के हितार्थ जनउपयोगी कामों में खर्च होता है और 79 पैसे बिचोलिये के पास जाता है | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या वैसा करना है | राजीव शालीनता की प्रतिमुर्ती थे उन्होंने कभी भी अपने घोर विरोधियों के प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | आसाम समझोते के बाद जब उनकी पार्टी को असम गणपरिषद और अन्य विपक्ष की पार्टी के हाथों पराजय मिली तब उन्होंने कहा कि काग्रेस चाहे हारी हो कितु प्रजातंत्र और देश जीता है | राजीव गांधी ने हमेशा लोकतान्त्रिक भावना और देश हित को अपनी पार्टी और व्यक्तिगत हितों से ऊपर रक्खा था | राजीव वाजपेयीजी जैसे भाषण कला में माहिर नहीं थे किन्तु लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्‍होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल उन्हीं फ़ैसलों का नतीजा है। कम्प्युटर लेपटॉप को जन जन तक पहुँचाने के लिये उनके योग दान को सदेव याद किया जायेगा | राजीव ने राजनीती में भी नेतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया, बोफोर्स कांड के आरोपों के बीच संसद भंग कर नये चुनाव करवाने का जज्बा उन्हीं में था |1989 के चुनावों में 195 सीटें जीतने के बाद भी उन्होंने जोड़ तोड़ की राजनिती का रास्ता अपनाने और सांसदों की खरीद फरीद का सत्ता प्राप्त करने के बजाय प्रजातंत्र को मजबूत करने के लिये विपक्ष में रहना मंजूर किया और संसद में विपक्ष के नेता के रूप में रचनात्मक राजनीति के उत्तम आयाम स्थापित किये | जबकि वर्तमान दोर में पार्टीयाँ एनकेन प्रकारेण सत्ता प्राप्त कर रहीं हैं | हाल के समय में मणिपुर, गोवा , कर्नाटक में सत्ता लोलुपता देखने को मिल रही जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिये अशुभ ही कहा जायेगा | निसंदेह राजीवगांधी की कथनी और करणी में कोई अंतर नहीं था |

स्मरणीय रहे कि अपनी हत्या से कुछ ही पहले अमरीका के राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी ने कहा था कि अगर कोई अमरीका के राष्ट्रपति को मारना चाहता है तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी बशर्ते हत्यारा ये तय कर ले कि मुझे मारने के बदले वो अपना जीवन देने के लिए तैयार है |”अगर ऐसा हो जाता है तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे बचा नहीं सकती | “21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में ऐसा ही हुआ. तीस साल की एक नाटी, काली और गठीली लड़की चंदन का एक हार ले कर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की तरफ़ बढ़ी. जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, कानों को बहरा कर देने वाला धमाका हुआ |उस समय मंच पर राजीव के सम्मान में एक गीत गाया जा रहा था…. राजीव का जीवन हमारा जीवन है… अगर वो जीवन इंदिरा गांधी के बेटे को समर्पित नहीं है… तो वो जीवन कहाँ का? इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्ज़ेंडर ने अपनी किताब ‘माई डेज़ विद इंदिरा गांधी’ में लिखा है कि इंदिरा गांधी की हत्या (31अक्टूबर 1984 ) के कुछ घंटों के भीतर उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया और राजीव को लड़ते हुए देखा था |राजीव सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी चाहती है कि ‘मैं प्रधानमंत्री पद की शपथ लूँ’. सोनिया ने कहा हरगिज़ नहीं. ‘वो तुम्हें भी मार डालेंगे’. राजीव का जवाब था, ‘मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं वैसे भी मारा जाऊँगा’ | लगभग साढ़े छह साल बाद राजीव के बोले वो शब्द सही सिद्ध हुए थे और वे भी पंचमहाभूतों में विलीन हो गये |

राजीव गांधी की 27वीं पूण्यतिथि पर राष्ट्र उन्हें नमन करता है |

प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के. गर्ग

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