फिर मानसून के दौरान गन्दा पानी पहुंचेगा पवित्र सरोवर में

◆ *प्रशासनिक ढिलाई के चलते इस साल फिर मानसून के दौरान गन्दा पानी पहुंचेगा पवित्र सरोवर में ••••*

◆ *जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और सरकारी विभागों के मकड़जाल में फंसकर धराशाही हो गई 4 करोड़ रुपयों की योजना •••*

राकेश भट्ट
पिछले साल 2017 में मानसून सत्र के दौरान हुई बारिश के साथ सरोवर के जल में जाने वाले गंदे पानी को लेकर खूब हो हल्ला मचा था । आम जनता ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल और राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक अपनी पीड़ा पहुंचाई । उसी दौरान मुख्यमंत्री महोदया को भी पुष्कर दौरे पर आना था । लिहाजा सी एम के कार्यक्रम में कोई बखेड़ा खड़ा ना हो जाये उससे बचने के लिए आनन फानन में 4 करोड़ रुपयों की राशि स्वीकृत करके बारिश का गंदा पानी रोकने की कार्ययोजना बनाकर उसकी घोषणा कर दी गई ।

जनता को शांत करने के लिए जेसीबी मशीन से पुरणखण्ड के पास खड्डा खुदवाकर फ़ोटो खिंचवाने और झूठी वाहवाही लेने की भी रस्म अदायगी की गई । पुष्कर की भोली जनता ने नेताओ और अधिकारियों का आभार जताने के लिए सोशल मीडिया पर कुछ दिनों तक बधाइयां भी दी । लेकिन जैसे ही मानसून सत्र खत्म हुआ सारा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया । आपको ताज्जुब होगा कि योजना के उद्घाटन के लिए खोदे गए गड्ढे के बाद से वह काम एक फ़ीट भी आगे नही बढ़ा ।

इस मामले में मैंने आज पुष्कर पालिका के अधिशाषी अधिकारी विकास कुमावत से जब बात की तो उनका कहना रहा कि हम तो काम करने के लिए तैयार है लेकिन नेशनल हाइवे वाले अधिकारी ही हमे इस काम की स्वीकृति नही दे रहे है । उसी की वजह से काम अटक रहा है । सवाल उठता है कि इसे लापरवाही माना जाए या नाकारापन , जो एक साल के दौरान भी विभाग से स्वीकृति तक नही ले पाए । क्या सरकारी विभागों में इतना भी तालमेल नही उन्हें जनहित के मामलों की गंभीरता बताई जा सके । हालांकि अधिशाषी अधिकारी का दावा है कि उन्होंने केशव नगर से आने वाले गंदे पानी को शत प्रतिशत सीवरेज लाइन में जुड़वा दिया है जिससे काफी हद तक गंदे पानी के जाने में रोक लग जायेगी । लेकिन क्या केवल केशव नगर में रोकथाम करने से सरोवर में जाने वाले पानी को रोका जा सकता है । पापमोचनी और मारवाड़ बस स्टैंड से आने वाले पानी के साथ क्या गंदा पानी नही आएगा ।

अधिशाषी अधिकारी कुमावत का कहना है कि इस काम मे उन्हें आम जनता का भी साथ चाहिए । हर व्यक्ति अपने मकान से निलकने वाले पानी को सीधे सीवरेज में डालने का काम करे तो कुछ रोकथाम हो सकती है । मेरा सवाल यह है कि आखिर लाखो करोड़ो श्रद्धालुओ और हजारो तीर्थ पुरोहितों की आस्था के केंद्र पवित्र सरोवर की पीड़ा को सरकारी विभाग क्यों गंभीरता से नही लेते है । क्यों जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए अधिकारियों के पीछे पड़कर नियत समय पर काम नही करवाते है । कही ऐसा तो नही की केवल आनन फानन में फ़ोटो खिंचवाकर जनता को मीठी गोली दे दी गई हो ।

क्यों कि आज के हालात देखकर मुझे नही लगता कि पुष्कर का कोई भी नेता , अधिकारी , तीर्थ पुरोहित या कोई सामाजिक संस्था इस मामले को लेकर गंभीर है । सब जानते है जब बारिश के साथ गंदा पानी जाएगा तब कुछ लोग नाराज होंगे , कुछ सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल लेंगे , कुछ अखबारों में खबरे छप जाएगी और मानसून सत्र खत्म होते ही सब भूल जाएंगे । यह क्रम आज से नही बीते कई सालों से ऐसे ही चला आ रहा है । हर बार किसी ना किसी की लापरवाही बताकर मामला रफा दफा कर दिया जाता है ।

पता नही आखिर ऐसा कब तक चलेगा और कितने साल इस योजना को पूरा होने में लगेंगे । पता नही वो दिन कब आएगा जब बारिश का गंदा पानी सरोवर में जाने से रुकेगा और सबसे खास बात की हमारे जनप्रतिनिधि और अधिकारी कब नींद से जागेंगे और दिल से इस बात की पीड़ा समझकर इसका स्थायी समाधान करवाएंगे ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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