कोटि कोटि भारतीयों के दुलारे अटल बिहारी

डा. जे.के.गर्ग
अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद को किसी खास विचारधारा के पहरेदार के रूप में स्थापित नहीं होने दिया। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था। अलगाववादियों से बातचीत के फैसले पर सवाल उठा कि क्या बातचीत संविधान के दायरे में होगी? तो उनका जवाब था, इंसानियत के दायरे में होगी। उन्हें शब्दों का जादूगर माना गया। विरोधी भी उनकी वाकपटुता और तर्कों के कायल रहे। 1994 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी अटल जी को सौंपी थी। किसी सरकार का विपक्षी नेता पर इस हद तक भरोसे को पूरी दुनिया में आश्चर्य से देखा गया था। पूर्वीपाकिस्तान के विघटन एवं बंगलादेश देश के जन्म के समय अटलजी ने अपनी राजनेतिक प्रबल विरोधी इंदिराजी जी की सराहना करते हुए उन्हें माँ दुर्गा के समान बता कर एक कुशल एवं परिपक्वराजनेता के रूप में अपने आप को स्थापित किया | 2002 के गुजरात के साम्प्रदायिक दंगों के बाद प्रधानमंत्री बाजपेयी जी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को राज धर्म के पालन करने की सीख दीथी |

मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की संकल्पशक्ति, योगीराज श्रीकृष्ण की राजनीतिक कुशलता एवं कूटनीति और आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मिका बुद्धि के धनी व्यक्तियों में जन नायक अटलबिहारी का नाम शिखर पर लिया जाता हैं। अटलजी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्रसेवा हेतु अर्पित किया हैं। उनका तो मन्त्र है “ देश के लिए जियें और देश के लिए ही मरें, भारत माता का कण-कण शंकर है, वहीं पानी की बूंद-बूंद गंगाजल है”, उन्होनें अनेको बार कहा है कि “भारत के लिए हँसते-हँसते प्राण न्योछावर करने में मैं गर्व का अनुभव करूँगा”। अटल जी की वाणी में सदैव विवेक और संयम होता है। गम्भीर से गम्भीर बात को बात हँसी की फुलझड़ियों के बीच कह देने की विलक्ष्ण क्षमता उन्हीं में हैं। कहते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूजी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था कि ये अद्धभुत प्रतिभा के धनी हैं और इनका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है जिसकी वजह से ये एक दिन देश के सर्वोच्च पद पर पदासीन होगें “ |

वाजपेयीजी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था | अटलजी ने राजनीतिशास्त्र से प्रथम श्रेणी में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। एलएलबी की पढ़ाई को बीच में ही विराम देकर संघ के काम में लग गए। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से अटलजी भी प्रमुख नेताओं में थे | उन्होंने लम्बे समय तक पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में कार्य किया। अटलबिहारी ने अपना सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया | वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एन.डी.ऐ) सरकार के पहले गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री थे । अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दोरान परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए राष्ट्र हित में 1998 में दुबारा परमाणु परीक्षण कर राजनेतिक परिपक्वता का परिचय दिया। स्मरणीय है कि उन्होंने इस परमाणु परीक्षण की अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की गुप्तचर एजेंसीयों को भनक तक नहीं लगने दी।
सन् 1942 में जब गाँधी जी ने ‘अँग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया तो ग्वालियर भी अगस्त क्रांति की लपटों में आ गया। छात्र वर्ग आंदोलन की अगुवाई कर रहा था। अटलजी तो सबके आगे ही रहते थे। जब आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया तो पकड़-धकड़ होने लगी। अटलजी पुलिस की लपेट में आ गए। उस समय वे नाबालिग थे। इसलिए उन्हें आगरा जेल की बच्चा बैरक में रखा गया। चौबीस दिनों की अपनी इस अल्प प्रथम जेलयात्रा के संस्मरण वे हँस-हँसकर सुनाते हैं।

अटलजी ने डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी , पण्डित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख आदि नेताओं से राजनीति का पाठ पढ़ा था | सन् 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमे उन्हें पराजय मिली, लेकिन उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया एवं उन्होंने सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में पुनः चुनाव लड़ा जिसमें विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वाजपेयीजी सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाह सफलतापूर्वक किया । अटलजी पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर देश को एवं हिन्दी को गौरवान्वित किया था।
1980 में जनता पार्टी से दोहरी सदस्यता के मामले के कारण जनसंघ के सदस्य जनता पार्टी से अलग हो गये और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता

पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। सन् 2004 में अपने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भयंकर गर्मी में वाजपेयीजी ने इण्डिया शाइनिंग के नारे के साथ लोकसभा के चुनाव करवाये जिसमें भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) को विजय नहीं मिल सकी थी | 19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की थी, किन्तु कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की वजह से पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को पाकिस्तान से मुक्त कराया। कारगिल युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार के सारे प्रयास एक बार फिर समाप्त ही हो गए। भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी क्यू प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ उतना सिर्फ शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था। एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।अटलबिहारीजी ने अनेको पुस्तकें और काव्य सग्रह लिखे | अटलबिहारीजी को अनेकों पुरष्कार प्राप्त हुए | उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया गया | जनप्रिय अटलजी 16 अगस्त 2018 को शाम 5 बजे पंचमहाभूत में विलीन हो गये | अगले दिन 17 अगस्त 2018 को उनके पार्थिव शरीर को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी दत्‍तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या मुखाग्नि दी | उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है। अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया। अटलजी के 94 वें जन्म दिवस पर सभी भारतीय उनके श्रीचरणों में श्रदा सुमन अर्पित करते हैं |

प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—-विभिन्न पुस्तके, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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