भगवान महावीर ने दुनिया को दिया जीओ और जीने दो का संदेश

17 अप्रैल को महावीर जयंती पर्व मनाया जाएगा। यह जैनों का सबसे प्रमुख त्योहार है। महावीर स्वामी का जन्म दिवस चैत्र की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया। एक राज परिवार में जन्म लेने वाले वर्धमान ने राज-पाठ, परिवार, धन-संपदा छोड़कर युवावस्था में ही लोगों को सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाया।
जैन समुदाय के लिए महावीर जयंती का विशेष महत्व होता है। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर स्वामी महावीर का जन्म चैत्र मास के शुक्ल त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। महावीर जयंती जैन समुदाय द्वारा भगवान महावीर के जन्म की खुशी में उत्सव के रूप में मनाते हैं।

पंचशील सिद्धान्त के प्रवर्तक और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर अहिंसा के प्रमुख ध्वजवाहकों में से एक है।

महावीर जयंती कठिन तपस्या से जीवन पर विजय प्राप्त करने का त्योहार है। महावीर जयंती पर जैन मंदिरों मे भगवान महावीर की मूर्ति का विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है।

भगवान महावीर का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन हुआ था। भगवान महावीर के पिता का नाम महाराज सिद्धार्थ और माता का नाम महारानी त्रिशला था। महावीर बचपन से ही बड़े तेजस्वी और साहसी बालक थे।

गृहस्थ जीवन त्याग करने के बाद महावीर ने साढ़े 12 सालों तक कठोर तपस्या की फिर वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुबालुका नदी के किनारे साल के पेड़ के नीचे उनको ‘कैवल्य ज्ञान’ की प्राप्ति हुई थी। महावीर के जन्म को कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों को अभिषेक किया जाता है इसके बाद मूर्ति को रथ पर स्थापित करके शहर में जुलूस निकाला जाता है।

भगवान महावीर ने जीवन में कई उपदेश दिया था। महावीर स्वामी अहिंसा के पुजारी थे उनका मानना था कि इस दुनिया में जितने भी जीव है उन पर कभी भी हिंसा नहीं करनी चाहिए। भगवान महावीर का कहना है कि मनुष्य को कभी भी असत्य का मार्ग नहीं अपनाना चाहिए। मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। महावीर स्वामी ने ब्रह्राचर्य के बारे में बताया है कि उत्तम तपस्या,ज्ञान ,संयम और विनय ब्रह्राचर्य की जड़ है।

भगवान महावीर के अनमोल विचार
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– आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं। वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत।
– मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतिया ही है, जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वहीं मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है।
– महावीर हमें स्वयं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
– आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
– आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
– खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076, 7976009175
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