मेनेजमेंट के देवता देवों के देव गणेशजी Part 1

डा. जे.के.गर्ग
याद रखिये कि गण का मतलब समूह होता है वहीं गणपति गणेश समूह के स्वामी हैं इसीलिए उन्हें गणाध्यक्ष, लोकनायक गणपति के नाम से भी जाना जाता है | गणेशजी की चार भुजायें चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक हैं। गणेश में गण का अर्थ है “वर्ग और समूह”और ईश का अर्थ है “स्वामी” अर्थात जो समस्त जीव जगत के ईश हैं वहीं गणेश हैं | शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर “(ॐ ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है)। विनायक की चार भुजायें चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक हैं। विघ्नहर्ता गणेशजी की व्याख्या करने से स्पष्ट होता है कि गज दो व्यंजनों से यानि ग एवं ज से बना हैं, यहाँ अक्षर ज जन्म और उद्दगम का परिचायक है वहीं ग गति औरगन्तव्य का प्रतीक है | निसंदेह हमें गज से जीवन की उत्पति और अंत का संदेश मिलता है यानि हमारे नश्वर शरीर को जहाँ से आया है वहीं पर वापस जाना है | याद रक्खें कि जहाँ जन्म है वहां म्रत्यु भी है | सच्चाई तो यही है कि विनायक गणेशजी के शरीर की शारीरिक रचना भोलेशंकर शिवजी की सूक्ष्म सोच निहित है, भगवान शिव ने गणेशजी के अंदर न्यायप्रिय,योग्य, कुशल एवं सशक्त शासक के समस्त गुणों के साथ उनमें देवों के सम्पूर्ण गुण भी समाहित किये हैं |

हाथ में अंकुश: गणेशजी का अंकुश हमें अपने लक्ष्य की और केन्द्रित रहते हुए हमेशा आगे बड़ने की सीख देता है | इन्सान को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिये सतत प्रयास करते हुवे निरंतर आगे बड़ना होगा | गणेशजी के हाथ में अंकुश हम सभी को भोतिकता से आध्यात्मिकता की तरफ चलने के लिये प्रेरित करता है |

आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ : सच्चाई तो यही है कि जीवन में हमेशा जीत उन व्यक्तियों की होती है जो परिस्थतियों के अनुसार अपने आप को परिवर्तित करके आगे बड़ते हैं | गणेशजी के आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ हमें परिस्थतीयों के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता विकसीत करने की सीख देता है | अत: भगवान गणेशजी का आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उच्च कार्यक्षमता और अनुकूलन क्षमता का परिचायक है |

प्रस्तुतिकरण—डा.जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—- मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र पत्रिकाये संतो के प्रवर्चन आदि ,Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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