जन प्रिय लोक देवता —बाबा रामदेव—रामशापीर पार्ट 1

डा. जे.के.गर्ग
पश्चिम राजस्थान के पोकरण शहर के नजदीक रुणिचा नामक स्थान के राजा के घर बाबा रामदेव का जन्म विक्रम संवत1409 की भादवा शुक्ल दूज के दिन हुआ था | मान्यताओं के मुताबिक राजा अजमल ने पुत्र प्राप्ति हेतु दान पुण्य और अनेकों यज्ञ किये | द्वारकाजी में अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए तब राजा अजमल ने उनसे उनके घर में उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने की याचना की तब भगवान द्वारकानाथ ने राजा अजमल ने कहा मैं तुम्हे वचन देता हूँ कि तुम्हारा पहला बेटा विरमदेव होगा और दूसरे बेटे के रूप में मै खुद तुम्हारे आपके घर आउंगा। भगवान ने यह भी कहा कि जब में अवतरित होउगां तब उस रात आपके राज्य के जितने भी मंदिर है उसमें घंटियां अपने आप बजने लग जायेगी,महल में जो भी पानी होगा वह दूध में बदल जाएगा तथा मुख्य द्वार से जन्म स्थान तक कुमकुम के पैर नजर आयेंगे वहीं आकाशवाणी भी सुनाई देगी और में इस जन्म में रामदेवजी के नाम से प्रसिद्ध हो जाउँगा। ऐसा माना जाता है कि रामदेवजी के जन्म लेते ही ऐसी सभी चमत्कारिक घटनाये घटित हुई | सवंत 1425 में उन्होंने पोकरण से 12 किलोमीटर उत्तर दिशा में रूणिचा गावं बसा दिया था |

राजस्थान के जनमानस में पॉँच पीरों मे बाबा रामसा पीर का प्रमुख स्थान है। जन जन के लोक देवता रामदेव पीर, , रामशा पीर, के नामों से जाए जाने वाले बाबा राम देव तनवर राजपूत शासक थे जिन्हें उनके भक्त जन भगवान विष्णु के अवतार के रूप में मानते है। रामदेव रामाशापीर का उत्तर भारत का प्रसिद्ध मेला भाद्रपद शुक्ला 2 से भाद्रपद शुक्ला 11तक मनाया जाता है | रामदेवरा मेले में हज़ारों लाखों भक्त सैकड़ों किलोमीटर दूर से बड़े-बड़े समुहों में नाचते गाते-भजन कीर्तन करते हुये पैदल, बसों,कारों,ट्रेक्टर, बेलगाडी या अन्य साधनों से आते हैं।

प्रस्तुतिकरण———डा.जे.के.गर्ग

सन्दर्भ—– इतिहासकार मुंहता नैनसी का ग्रन्थ “मारवाड़ रा परगना री विगत”, मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकायें आदि | Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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