जन प्रिय लोक देवता —बाबा रामदेव—रामशापीर पार्ट 2

रामदेवजी को पीरों के पीर क्यों कहा जाता है ?

डा. जे.के.गर्ग
बाबा रामदेवजी से प्रभावित होकर उस समय के सैकडों हिन्दू जो मुसलमान बन गये थे पुनः हिन्दू धर्म में परिवर्तित होने लगे | इन स्थितियों को देखते कई मुस्लिमानों के 5 प्रमुख पीर मुल्तान से रूनीचा में बाबा रामदेव जी की परीक्षा लेने आए। जब मुल्तान के 5 पीर आए तो उन्होंने उनका रामदेवजी ने दिल खोलकर स्वागत किया । भोजन के समय पीर ने बाबा रामदेवजी से कहा कि वे केवल अपने स्वयं के बर्तन में खाना खाते हैं जो मुल्तान में छोड़ आये हैं। इस पर रामदेवजी ने अपना दाहीना हाथ बढ़ाया और उनके सभी बर्तन वहाँ आ गए। इसे देखकर मुल्तान के सभी 5 पीर उनकी प्रतिभा और चमत्कार से प्रभावित हुये और उन्होंने रामदेवजी को आशीर्वाद दिया और घोषणा की कि वह सारी दुनिया में रामशापीर, रामपुरी या हिंदवपीर के नाम से जाने जाएंगे। तब से रामदेवजी को भी रामशापीर के रूप में जाने गए।

रामदेवजी की प्रमुख बाल लीलायें एवं चमत्कार
एक दिन सुबह रामदेव एवं विरमदेव अपनी माता की गोद में खेल रहे तब उनकी मां दूध को गर्म करने के लिये उसे भगोनी में डाल कर चूल्हे पर चढ़ाने चली गई, उसी वक्त रामदेव जी अपनी माता को चमत्कार दिखाने के लिये अपने बड़े भाई विरमदेव जी के गाल पर चुमटी काट दी जिससे विरमदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने राम देव को धक्का मार कर गिरा दिया | रामदेवजी गिर गये और रोने लगे हैं। रामदेव जी के रोने की आवाज सुनकर माता मैणादे दूध को चुल्हे पर ही छोड़कर उनके पास आ गई और रामदेव जी गोद में लेकर पुछ्कारने लगी | उधर दूध को भगोनी के बाहर गिरता देखती माता मैणादे रामदेवजी को गोदी से नीचे उतारना चाह रही थी किन्तु उन्होंने उस वक्त देखा रामदेवजी अपना हाथ दूध की ओर करके अपनी देव शक्ति से उस बर्तन को चूल्हे से नीचे आसानी से जमीन पर रख दिया। यह चमत्कार देखकर माता मैणादे वह वहीं पर उपस्थित पिता अजमलजी तथा दासीयां अचम्भित होकर भगवान द्वारकानाथ की जय जयकार करने लगे ।

प्रस्तुतिकरण———डा.जे.के.गर्ग

सन्दर्भ—– इतिहासकार मुंहता नैनसी का ग्रन्थ “मारवाड़ रा परगना री विगत”, मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकायें आदि | Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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