भाभी भी काफी देरी केबाद तेजा का खाना लेकर खेतों पर पहुँची| थी भूख के मारे तेजाजी ने अपनी भाभी को उल्हाना देते खरी खोटी सुना दी, तेजाजी के उल्हाने से भाभी तिलमिला कर कहने लगी तुम्हें तो अपनी भूख की पड़ी है और कहा कि मुझे तो घर परिवार का सारा काम पूरा करना पड़ता है | अगर तुम्हें मुझ से कोई शिकायत है तो तुम्हारी पत्नी पेमल को उसके पीहर से लिवा क्यों नहीं लाते ? भाभी की बातें तेजाजी के दिल में चुभ गई और वें तिलमिलाते हुए घर आ गये और माँ से पूछा “ मेरी शादी कहाँ और किसके साथ हुई? तब उनकी माँ ने उन्हें सारी बातें बताई थी | तेजा ससुराल जाने कोआतुर हो गये तब तेजाजी की जिद्द को देख भाभी बोली अपनी दुल्हन पेमल को घर पर लाने के पहिले अपनी बहन राजल को तो पीहर लेकर आओ औरउसके बाद ससुराल जाना |भाभी के कहे अनुसार अपनी बहन राजल को उसके ससुराल से ले आये | तेजाजी ने अपनी माँ और भाभी से पनेर जाने की इजाजत लेकर वे एक दिन सुबह ही अपनीपत्नी पेमल को लाने के निकल पड़े और अपनी ससुराल पनेर आ पहुँचे | वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनका अपमान हो गया जिसके फलस्वरूप वे नाराज होकर वहाँ से वापस लौटने लगे तभी ही पेमल की सहेली लाछा गूजरी तेजाजी मिली और उसने तेजाजी को पेमल का संदेश दिया “ अगर तेजाजी उसे छोड़ कर गए, तो वह जहर खा कर मर जाएगी, आपके इंतजार में मैंने इतने वर्ष निकाले हैं आज आप चले गए तो मेरा क्या होगा मुझे भी अपने साथ ले चलो | नहीं तो में आपके चरणों में अपना त्याग दूँगी | पेमल की व्यथा देखकरतेजाजी उसे अपने साथ ले जाने को राजी हो गये | तभी यकायक वहां लाछां ने आकर कहा कि“मेर के मेणा डाकू उसकी गायों को चुरा कर ले गए हैं, इसलिए तेजाजी आप मेरी गायों को डाकुओं से छुड़ा कर लायें |
प्रस्तुतिकरण ——– डा.जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—-विभिन्न पत्र पत्रिकाएँ, ग्रामीणों एवं तेजा भक्तो और भोपओं से बात चित,मेरी डायरी के पन्ने आदि | Visit our Bog—gargjugalvinod.blogspot.in